निशा के बड़े भाई अलीम ने बताया कि उनकी बहन साजिदा नगर में निवास करती थीं। निशा को बुखार तो सात दिन पहले से आ रहा था, लेकिन तीन दिन पहले उसकी तबियत ज्यादा बिगड़ गई। हाथ पैरों में दर्द तेज हो गया तो उसे ताजुल मसाजिद के सामने एक निजी अस्पताल ले गए।
यहां एक दिन भर्ती रखने के बाद जब हालत नहीं सुधरी तो निशा को बंसल अस्पताल में भर्ती कराया। वहां भी इलाज चला लेकिन उसकी हालत नहीं सुधरी और सोमवार को निशा की मौत हो गई। परिजनों के अनुसार भोपाल केयर अस्पताल में निशा का डेंगू का टेस्ट किया गया था। यहां के चिकित्सकों ने बताया कि आपके मरीज को डेंगू है, उसकी प्लेट्लेट्स सिर्फ 14 हजार बची हैं।
दो दिन बंद रही डेंगू की जांच
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला शनिवार को आया था। इसके मद्देनजर प्रशासन ने शहर में धारा 144 को सख्ती के साथ लागू किया था। इस कारण शनिवार और रविवार को बैरागढ़ और जेपी अस्पताल में डेंगू की जांच नहीं हो सकी।
शहर में अब तक मिले 1200 से अधिक मरीज
राजधानी में अभी तक डेंगू पॉजीटिव मरीजों की संख्या 1200 से ज्यादा हो गई है। जबकि पिछले वर्ष नवंबर में यह आंकड़ा 738 था। स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि इस बार डेंगू से शहर में एक भी मौत नहीं हुई है। लेकिन चार संदिग्ध मरीजों की जो मौत हुई है, उसे विभाग गिनती में शामिल नहीं कर रहा है। जबकि डेंगू मरीजों की संख्या लगातार बढती जा रही है।