जिला अस्पतालों में होंगी मेडिकल कॉलेज जैसी सुविधाएं— राज्य सरकार का दावा है कि इस बार ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा होगी और आरटीपीसीआर सहित अन्य जांचें भी शुरू हो जाएंगी। सरकार का यह प्रयास होगा कि मेडिकल कॉलेज जैसी सुविधाएं जिला अस्पतालों में उपलब्ध कराई जाएं जिससे मेडिकल कालेजों के बोझ को हल्का किया जा सके।
मेडिकल कॉलेजों का जब बोझ हल्का होगा तो वे जिला अस्पतालों में सुपरविजन का काम करने लगेंगे। जो मरीज मेडिकल रेफर किए जाएंगे, वे इनका समुचित इलाज कर पाएंगे। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता पर सबसे ज्यादा जोर दिया जा रहा है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने दो लाख इंजेक्शन स्टोर कर लिए हैं.
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आटीपीसीआर लैब- कारोना के ज्यादा केस मिलने वाले 34 जिलों के जिला अस्पतालों में आरटीपीसीआर लैब बनाई जाएगी। जिला अस्पतालों को 34-35 लाख रुपए दिए गए हैं। टेंडर भी जारी कर दिए गए हैं। डेडलाइन जनवरी रखी गई है। वर्तमान में यह लैब सिर्फ मेडिकल कॉलेजों में हैं।
एलएमओ- 34 जिला अस्पतालों में एलएमओ गैस के टैंक लगाए जाएंगे। कंपनियां लगभग 16 रुपए प्रति क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन सप्लाई करेंगी। इस समय मेडिकल कॉलेजों में 50 मीट्रिक टन एलओएम गैस सप्लाई हो रही है।
टैक्नीशियन भर्ती- प्रदेश में करीब 204 अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए हैं। इन प्लांटों को चलाने और ऑक्सीजन फ्लो बरकरार रखने इन अस्पतालों में एक-एक टेक्नीशियन की भर्ती की जा रही है, जो इस माह तक पूरी हो जाएगी। आइटीआइ पास 300 युवाओं को ट्रेनिंग दी जा चुकी है।
पीडियाट्रिक केयर यूनिट- सभी जिला अस्पतालों में गंभीर बीमार बच्चों के लिए शिशु वार्ड, आइसीयू, पीआइसीयू, वेंटिलेटर, हाई डिपेंडेंसी यूनिट की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
फैब्रिक बिल्डिंग- जिला और प्राथमिक अस्पतालों की छत पर फाइवर की बिल्डिंग बनाई जाएगी। ध्यान रख जाएगा कि कम से काम एक वार्ड को यहां शिफ्ट किया जा सके। इसके लिए केंद्र ने सभी जिलों को राशि जारी कर दी है।