भोपाल। उनकी खुद की कोई औलाद नहीं। मगर 26 बच्चों को पिता बनकर पाला। ये हैं राजधानी के सरदार खान। हाथ-पैरों से मोहताज इन बच्चों को इस लायक भी बनाया कि वे खुद के पैरों पर खड़े हो सकें। पिता की एक डांट के बाद 37 सालों से बेसहारा बच्चों के पालक बने हुए हैं। खान ने ये शुरुआत छोटे स्तर से की थी। यह भी पढ़ें: पिता इंजीनियर, भाई आर्मी में और ये गर्ल बन गई देश की पहली महिला फाइटर यह भी पढ़ें: चेकअप के बहाने डॉक्टर करने लगा छेड़छाड़, लड़की ने चप्पल, डंडे से पीटा पहले एक सेंटर शुरू कर निराश्रित महिलाओं को ट्रेनिंग देना शुरू किया। खान के मुताबिक ये काम जारी था इस बीच कुछ ऐसे बच्चे मिले जिनका कोई नहीं था। खुद की कोई औलाद नहीं थी सो इन बच्चों को काबिल बनाना ही मकसद बना लिया। धीरे-धीरे कुछ और बच्चे जुड़ गए। कोई सरकारी मदद न होने और सीमित संसाधनों के चलते घर गिरवी रखना पड़ा। वर्तमान में एक स्कूल और हॉस्टल का संचालन कर रहे हैं। यह भी पढ़ें: जानिए, सूर्य नमस्कार के 12 आसन के फायदे पिता की डांट ने दिया मकसद पेशे से टेलर मास्टर सरदार खान को पिता की एक डांट ने बदल दिया। वह पुलिस में हवलदार थे। 1978 की बात है। एक व्यक्ति को दान में कुछ रुपए देते हुए पिता जिया हुसैन ने देख लिया, तब उन्होंने सीख दी कि दान देकर किसी को छोटा मत करो। अगर कुछ देना है तो सहारा देकर इस काबिल बनाओ कि वह खुद कुछ कर सके। यह भी पढ़ें: मोबाइल से बढ़ रहा एडिक्शन का खतरा, जानिए लक्षण और बचाव मिला शहीद हमीद खां सम्मान प्रदेश सरकार ने सरदार खान को शहीद हमीद खां (सोल्जर) अल्पसंख्यक सेवा राज्य सम्मान से नवाजा। बेसहारा बच्चों की मदद और उन्हें रोजगार लायक बनाने की दिशा में काम करने पर उन्हें यह सम्मान दिया गया। इससे पहले भी पूर्व केन्द्रीय मंत्री अर्जुन सिंह से समाजसेवा से जुड़े कामों के लिए सम्मान मिल चुका है। 37 सालों में 300 बच्चों को बनाया काबिल इस काम से जुड़े हुए करीब 37 साल हो गए। इस अंतराल में 300 बच्चे इनके पास रहे। जिनमें से अब केवल 26 रह गए हैं। बाकी बच्चे पढ़-लिखकर रोजगार से लग गए। अपने पैरों पर खड़े हैं साथ ही दूसरों को भी सहारा दे रहे हैं। यह भी पढ़ें: OMG: जब निकले नाग के गुच्छे तो डैम से पहले बनाना पड़ा शिव मंदिर