आलू को सब्जियों का ‘राजा’ कहा जाता है, सब्जियों में सबसे ज्यादा इसी की बिक्री होती है। ज्यादा लाभ कमाने के फेर में कुछ बड़े कारोबारियों ने रंगों से रंगे नकली व केमिकलयुक्त आलू बेचना चालू कर दिया है जोकि स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हो सकते हैं।
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ऐसे बना रहे केमिकल वाले आलू
फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FSDA) के मुताबिक, आलू को कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल कर पकाया जा रहा है। आर्सेनिक और फॉस्फोरस जैसे केमिकल से युक्त ऐसे आलू का सेवन करने से उल्टी, घबराहट और डायरिया हो सकता है, पेट में जलन जैसी समस्या हो सकती है। यहां तक कि कैंसर तक हो सकता है।
फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FSDA) के मुताबिक, आलू को कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल कर पकाया जा रहा है। आर्सेनिक और फॉस्फोरस जैसे केमिकल से युक्त ऐसे आलू का सेवन करने से उल्टी, घबराहट और डायरिया हो सकता है, पेट में जलन जैसी समस्या हो सकती है। यहां तक कि कैंसर तक हो सकता है।
सफेद आलुओं में डाई मिलाई जा रही है। इससे आलू चमकदार दिखते हैं और अच्छी क्वालिटी का समझकर लोग नकली और केमिकलयुक्त खतरनाक आलू खरीद लेते हैं। प्रदेश में महाराष्ट्र से बड़ी मात्रा में आलू आ रहे हैं। इंदौर मंडी में अभी औसतन 8 हजार कट्टों की आवक हो रही है। महाराष्ट्र के मंचर से नए आलू आते हैं। भोपाल की नवबहार सब्जी मंडी में भी आलू की आवक में इजाफा हुआ है।
ऐसे करें आलू की पहचान
बलिया की घटना के बाद मध्यप्रदेश में भी आलू की खरीदारी में सतर्कता बरतने की जरूरत है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने अच्छे और नकली आलुओं की पहचान बताई है। भोपाल के खाद्य अधिकारियों के अनुसार आलू को हाथ में लेकर उसे हल्का-सा मसलें। आलू अच्छा होगा तो मूल रूप में बना रहेगा अन्यथा रंग छोड़ने लगेगा। हल्के गरम पानी में आलू को डुबाएं। इससे आलू में कोई नकली रंग चढ़ा होगा तो निकलने लगेगा।
बलिया की घटना के बाद मध्यप्रदेश में भी आलू की खरीदारी में सतर्कता बरतने की जरूरत है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने अच्छे और नकली आलुओं की पहचान बताई है। भोपाल के खाद्य अधिकारियों के अनुसार आलू को हाथ में लेकर उसे हल्का-सा मसलें। आलू अच्छा होगा तो मूल रूप में बना रहेगा अन्यथा रंग छोड़ने लगेगा। हल्के गरम पानी में आलू को डुबाएं। इससे आलू में कोई नकली रंग चढ़ा होगा तो निकलने लगेगा।