इस योजना के तहत पर्यटकों के लिए परिवहन, कनेक्टिविटी, पार्किंग और ठहरने की सुविधाओं को बेहतर बनाने के उपायों को शामिल किया गया है। मास्टर प्लान की तैयारी की जिम्मेदारी दिल्ली की सांई कंसल्टिंग इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड को दी गई है। उन्होंने कूनो नेशनल पार्क और सोनचिरैया अभयारण्य पर काम शुरू कर दिया है। इस पहल से न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण होगा, बल्कि इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी सुधार आने की उम्मीद है। इससे अधिक लोग इन अभयारण्यों का लाभ उठा सकेंगे।
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पर्यटन संबंधित गतिविधियां बढ़ाने पर फोकस
श्योपुर के कलेक्टर किशोर कान्याल ने बताया कि, कंपनी जिला स्तरीय निगरानी समिति के साथ मिलकर एक योजना तैयार कर रही है। कूनो के ड्राफ्ट प्लान को शासन के पास स्वीकृति के लिए भेजा गया है जो एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके अलावा, सोनचिरैया अभयारण्य के लिए मैदानी सर्वे की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है, जिससे क्षेत्र में जैव विविधता और संरक्षण उपायों को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। ये सभी गतिविधियां पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं।अभयारण्य इको सेंसिटिव जोन के तौर पर चिह्नित
कूनो नेशनल पार्क में 725.90 वर्ग किमी के इको सेंसिटिव जोन के चिह्नित होने से क्षेत्र की जैव विविधता और संरक्षण के प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा। चीतों के आगमन ने न सिर्फ पारिस्थितिकी संतुलन को प्रभावित किया है, बल्कि पर्यटन को भी नया आयाम दिया है। श्योपुर जिले में होटलों की संख्या में वृद्धि और पर्यटन बोर्ड द्वारा पेश किए गए पैकेज इस बात का संकेत हैं कि स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी सकारात्मक बदलाव आ रहा है। इससे स्थानीय समुदायों को रोजगार के नए अवसर मिल रहे हैं और वे पर्यावरण संरक्षण में भी अधिक जागरूक हो रहे हैं। यह भी पढ़ें- अब सब्सिडी पर मिले आवासों का होगा वेरिफिकेशन, किरायदार मिलने पर कैंसिल होगा आवंटन
-वन्यजीव संरक्षण
-इको-सेंसिटिव जोन
-स्थानीय व्यवसायों का समर्थन
-जल प्रबंधन
-संकेत और होर्डिंग।
मास्टर प्लान में पर्यटकों के अनुभव को समृद्ध करने इन घटकों पर फोकस
-पर्यटन गतिविधियां-वन्यजीव संरक्षण
-इको-सेंसिटिव जोन
-स्थानीय व्यवसायों का समर्थन
-जल प्रबंधन
-संकेत और होर्डिंग।