कई घंटों तक कम्प्यूटर पर काम करना, पौष्टिक आहार में कमी और धूल-मिट्टी के संपर्क में आने से हमारी आखें बीमार होने लगती है, यही कारण है कि, कुछ दिनों के भीतर इनमें दिक्कतें आने लगती हैं। बढ़ता प्रदूषण हमारी आंखों को नुकसान पहुंचाने का बड़ा कारण है। ऐसी स्थिति में कोई और नहीं बल्कि हम खुद ही अपनी आंखों को स्वस्थ्य और आकर्षक बनाए रख सकते हैं। अपनी आंखों को स्वस्थ कैसे रखें, इस संबंध में हमें बताया नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. अनुराग भटनागर ने बताया कि, आखों को नुकसान किन किन कारणों से होता है और इनकी देखभाल किस तरह की जा सकती है। आइये जानें।
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कंप्यूटर का लगातार इस्तेमाल बढ़ा रहा है परेशानी
डा. भटनागर के अनुसार, वैसे तो कंप्यूटर आधुनिक युग में बने रहने का एक बड़ा माध्यम है। आज के समय में इसके बिना कार्य की कल्पना ही संभव नहीं है। लेकिन ये भी एक कड़वा सच है कि, जितने इसके फायदे हैं उतने ही इसके शारिरिक और मानसिक तौर पर हमें नुकसान भी हैं। कंप्यूटर पर लगातार काम करने वालों अपनी आंखों का बहुत ख्याल रखने की जरूरत होती है। लगातार लंबे समय तक काम करने से कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती हैं। जैसे कंप्यूटर विजन सेंड्रोम, सिर में दर्द, आंखों में ड्रायनेस आती है, इसलिए लगातार कंप्यूटर पर नहीं देखना चाहिए। लगातार नजदीक की वस्तुओं को देखने के अलावा दूर की वस्तुओं को भी देखना चाहिए।
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-जब दिखने लगे धुंधला
अगर आपको आसपास का नजारा धुंधला दिखने लगे तो समझो मामला गड़बड़ है। इससे आपके दिमाग और ब्लड सर्कुलेशन की परेशानी भी बढ़ा सकता है। ऐसी स्थित को नजरअंदाज किये बिना तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए।
-ये है ड्राई आई सिंड्रोम के लक्षण
अगर आंखों में आंसू उत्पन्न करने वाली ग्रंथियां गड़बड़ हो जाएं, तो ये ड्राई आई सिंड्रोम के लक्षण है। ये बीमारी कनेक्टिव टिश्यू के डिस ऑर्डर के कारण होती है। इससे आंखों की सतह को नुकसान पहुंचता है।इस समस्या को नजरअंदाज करना अंधेपन का कारण बन सकता है।
-कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम
एक अध्यन के मुताबिक, इस समस्या से ज्यादातर बच्चे और युवा ग्रस्त हो रहे हैं। कम रोशनी में पढ़ने और देर रात तक लगातार कंप्यूटर और लैपटॉप पर समय बिताने से ये समस्या उत्पन्न हो रही है। एक अध्यन के बाद जारी सूची में कहा गया है कि, रोजाना ऑफिस में ऑठ घंटे काम करने वालों को हर चालीस मिनट के भीतर कम से कम पांच मिनट के लिए आंखों को रेस्ट देना चाहिए। संभव हो तो अपनी चेयर से उठकर ये पांच मिनट चल फिर लें, ताकि आपकी बॉडी भी वर्किंग मोड में रहे। वहीं काम करने के दौरान जितना ज्यादा संभव हो पलकों को झपकाते रहना चाहिए। ये आंखों की एक्सरसाइज होती है।
-कंजक्टिवायटिस के लक्षण
कंजक्टिवाइटिस लोगों में आमतौर होने वाला संक्रमण है। इसमें पीड़ित की आंखें लाल हो जाती है, तेज रोशनी आंखों को परेशान करती है। दर्द बना रहता है और लगातार पानी बहता रहता है। ये बीमारी एक से दूसरे तक फैलती है। इस संक्रमण से बचाव के लिए आंखों को धोते रहना चाहिए। आंखों में कच्चे दूध की बूंदें और गुलाब जल डालने से राहत मिलती है।
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-मोतियाबिंद की समस्या
आज के समय में मोतियाबिंद से जूझने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है। मोतियाबिंद से ग्रस्त व्यक्ति को सबसे ज्यादा परेशानी गर्मियों में होती है। हालांकि, चिकित्सकीय सलाह लेकर इस समस्या से निजात पाई जा सकती है।
-जब हो आंखों में संक्रमण
पलकों के ग्लैंड में संक्रमण होने से आंखें सूज जाती है। इसी सूजन को आंखों में फुंसी कहा जाता है। ये एक आम समस्या है जो किसी को भी हो सकती है। जो लोग आंखों को रगड़ते हैं उन्हें ज्यादा दिक्कतें होती हैं। आंखों में दर्द, पानी बहना, चकाचौंध होना और पलकों पर सूजन आना इसके लक्षण होते हैं।
-पुतलियों का तिरछापन
भैंगापन कई बार जन्मजात अथवा प्रसव के दौरान पड़े दबाव के कारण भी हो सकता है। शुरुआती दौर में इससे भले ही कोई खास फर्क न पड़ रहा हो, लेकिन ऐसे मामले आंखों को धीरे-धीरे कमजोर बना देते हैं।
-आंखों में खुजली
पलकों के नीचे खुजली या फिर चुभन होने पर समज लेना चाहिए कि, आपकी आखों में पानी की कमी होने लगी है, ये समस्या ल्यूब्रिकेंट करने की क्षमता कम करता है। यह समस्या पिंक आई स्टेन के कारक एडिनो-8 वायरस की वजह से होती है। इससे केवल आंखों की प्यूटिरायड ग्रंथि ही नहीं, बल्कि ग्लूकोमा भी प्रभावित होता है।