scriptकांग्रेस नेताओं के वैचारिक पुरखे तक संघ का कुछ नहीं बिगाड़ पाए : नरेंद्र सिंह तोमर | Exclusive interview with Narendra Singh Tomar for mp election 2018 | Patrika News
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कांग्रेस नेताओं के वैचारिक पुरखे तक संघ का कुछ नहीं बिगाड़ पाए : नरेंद्र सिंह तोमर

कांग्रेस नेताओं के वैचारिक पुरखे तक संघ का कुछ नहीं बिगाड़ पाए : नरेंद्र सिंह तोमर

भोपालNov 18, 2018 / 10:07 am

shailendra tiwari

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कांग्रेस नेताओं के वैचारिक पुरखे तक संघ का कुछ नहीं बिगाड़ पाए : नरेंद्र सिंह तोमर

शैलेंद्र तिवारी के साथ खास मुलाकात

भोपाल. कांग्रेस नेताओं के वैचारिक पुरखे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का जब कुछ नहीं बिगाड़ पाए तो अब ये क्या कर पाएंगे। संघ पर जब-जब कांग्रेस ने वार किया वह और ताकतवर होकर सामने आया। यह बात केंद्रीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पत्रिका से खास बातचीत में कही। उन्होंने दावा किया भाजपा प्रदेश में चौथी बार सरकार बनाएगी। कांग्रेस का पूरा रॉ मटेरियल को मिलाकर पलड़े में रख दें तो भी भाजपा के घोषित नेता शिवराज सिंह चौहान के वजन के बराबर नहीं बैठते। उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर बेबाक बात कही।
प्रश्न – पार्टी विथ डिफरेंस के दावों के बाद भी इस चुनाव में देखा कि सालों पार्टी के लिए काम करने लोग बागी हो गए और उन्हें मनाने में पार्टी विफल रही?

उत्तर – भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है, हर क्षेत्र में बहुत नेता ऐसे हैं जो लडऩा चाहते हैं, जीतने की क्षमता रखते हैं। प्रत्याशी चयन की एक प्रक्रिया है। चयन में बहुत सारे फैक्टर एक साथ काम करते हैं जब एक नाम का चयन होता है। तो कई बार ऐसा होता है जैसा पार्टी चाहती है वैसा नहीं हो पाता है। कुछ ने कार्यकर्ताओं ने पार्टी से और कुछ ने निर्दलीय फार्म भरे हैं। चर्चा बाद कई लोगों ने नाम वापस ले लिया। जो बचे हैं उनके अलग-अलग कारण हैं। ऐसा नहीं है कि पार्टी से बहुत खिन्न हो गए हैं। जिससे ऐसी परिस्थिति बनी। अनेक लोग ऐसे भी हैं कुछ ऐसे हैं जिंदगी भर पद पर रहे फिर भी लिप्सा अभी शांत नहीं हो रही है।
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प्रश्न – कुछ नेताओं के परिवार के सदस्यों को टिकट दिए, परिवारवाद को दरकिनार किया गया। कुछ को वंचित कर दिया गया, दो फार्मूले क्यों अपनाए गए?
उत्तर – किसी भी राजनीतिक दल में जीवंतता बहुत जरुरी है, इसके लिए पीढ़ी परिवर्तन की आवश्यकता है। जब परिवर्तन की स्थिति आती है तो जिन लोगों में पार्टी की प्रबलता होती है वे पार्टी को प्राथमिकता देते है। जिनमें व्यक्तिगत आकांक्षा होती है वे व्यक्तिगत हित को महत्व देते हंै। कार्यकर्ता और नेता का महत्व तभी तक जब तक वह पार्टी में है। पार्टी से अलग होते हैं तो सारे कार्यकर्ता पार्टी के साथ होते हैं। विचार आधारित, सिद्धांत आधारित पार्टी है। कार्यकर्ता प्रधानता की पार्टी है। पार्टी परिवारवाद की कभी पक्षधर नहीं रही। किसी न किसी का बेटा होगा ही कोई कार्यकर्ता काम के आधार पर चयन किया जा सकता है। ये सब के सब भाजपा के कार्यकर्ता रहे हैं, कैलाश विजयवर्गीय, हर्ष सिंह, गौरीशंकर शेजवार के बेटे लंबे समय से पार्टी के लिए काम कर रहे थे। कृष्णा गौर मेयर रही हैं पूरे प्रदेश में घूम कर पार्टी का काम किया। नाम पर बहुत विचार हुआ है। इनके अभिभावकों ने चुनाव नहीं लडऩा तय किया हैं।
प्रश्न – कुछ नेताओं की विदाई बहुत ही दर्द देने वाली रही, आखिर पार्टी सरताज सिंह जैसे नेताओं भरोसे में क्यों नहीं ले पाई?
उत्तर – भाजपा अपने नेताओं का जितना सम्मान करती है, शायद कोई और दल करता होगा। जहां तक सवाल सरताज सिंह का है तो वे लंबे समय तक भाजपा में रहे, पार्टी ने विधायक, सांसद, केंद्र और राज्यम में मंत्री बनाया। पार्टी में पद में दिया। सरताज ऐसे मोड़ पर थे कि ससम्मान समझाने का प्रयास किया। उनका कांग्रेस से प्रत्याशी होना पार्टी की असफलता नहीं बल्कि उनकी असफसलता है। उम्मीदवारी से साबित से होता है कि भाजपा के कार्यकर्ता रहते हुए दोहरा जीवन जीते रहे।
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प्रश्न – कांग्रेस ने संघ पर प्रतिबंध लगाने की नहीं बल्कि कर्मचारियों और शाखाओं को लेकर पुराने सरकुलर को लागू करने की बात कही है, फिर प्रतिबंध को भाजपा क्यों मुद्दा बना रही है?
उत्तर – संघ इस देश का सबसे बड़ा और श्रेष्ठ सांस्कृतिक और सामाजिक संगठन है। वह सामाजिक सांस्कृतिक अपनी भूमिका को निर्वहन करता है। हिंदू समाज को एकजुट करना व्यापकता को दुनिया के सामने लाना। आरंभ से ही कांग्रेस के नेतृत्व के मन में संघ खटकता रहा कि ये जानते रहे हैं कि श्रेष्ठ विचारधारा से जितने अधिक लोग सहमत होंगे। कांग्रेस की अश्रेष्ठ विचारधारा नष्ट होगी। इसीलिए जवाहरलाल नेहरु, इंदिरा गांधी से लेकर राहुल गांधी तक भयभीत रहते हैं। स्पष्टीकरण चाहे कुछ भी हो पर भाव यही था कि ये इन्हें संघ फूटी आंख नहीं सुहाता। कांग्रेस नेताओं के जब वैचारिक पुरखे संघ का कुछ नहीं बिगाड़ पाए तो यह क्या कर पाएंगे। इससे कांग्रेस जो नव हिंदुत्व की ओर जाने की कोशिश कर रही है उसका असली चरित्र दिखाता है। संघ ऐसा वैचारिक संगठन है जिसका राजनीति से लेना-देना नहीं है। कांग्रेस जो भी बोले हम इसे विषय नहीं मानते। विकास सेवा, कल्याण भाजपा का मूल है। संघ का मानना है देश के विकास, देश के लिए गरीब के लिए काम करें। मानवता की सेवा के लिए यह वैचारिक साम्यता है। विकास के मुद्दे पर ही लड़ रहे हैं। समृद्ध मध्यप्रदेश को लेकर जा रहे हैं।
प्रश्न – चुनाव में शिवराज सिंह चौहान अकेले नजर आ रहे हैं, राजधानी से लेकर चुनाव मैदान तक उन्हीं भर सक्रियता दिखी। ऐसा क्यों है, बाकी नेता मैदान में नहीं हैं। क्या तालमेल में कोई कमी है?
उत्तर – शिवराज जी कल अकेले नहीं थे और आगे भी अकेले नहीं रहेंगे। स्वयं खड़ा हूं, अध्यक्ष – प्रभारी खड़े हैं, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान सहयोग कर रहे हैं सभी लोग अपने अपने क्षेत्र में काम कर रहे हैं। खालीपन इसलिए दिखाई देता है कि कांग्रेस और भाजपा में मूलभूत अंतर है। कांग्रेस के एक दो नेता अपने अस्तित्व को बचाने के लिए लड़ रहे हैं। अपने को स्थापित रखने के लिए लड़ रहे हैं। भाजपा संगठन आधारित दल है, इसलिए जिसके पास जो काम है वह उसे पूरा कर रहा है। अस्तित्व के लिए कोई नहीं लड़ रहा है, सरकार बनाने के लिए लड़ रहा है।
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प्रश्न – कांग्रेस के घोषणा पत्र में किसानों की कर्जमाफी का वादा है, क्या भाजपा भी इसे लेकर आएगी। घोषणा पत्र में देरी क्यों है?
उत्तर – कांग्रेस के वादे पर हंसा ही जा सकता है, हमने पढ़ा उसमें कोई दम नहीं दिखाई दिया। कांग्रेस जिस तरह से बेदम है वैसा ही घोषणा पत्र में भी है। कर्जमाफी को छोड़ दें तो सरकार ने जो किया है उसी को डाल दिया। अगर कर्जमाफी ही इलाज है तो दिग्विजय सिंह ने क्यों नहीं किया था। पंजाब में किसानों पर कर्ज ६० हजार करोड़ का कर्ज है। पर मापदंड ऐसा बनाया कि ढाई हजार करोड़ ही माफ हुआ। भाजपा किसान हितैषी सरकार है, उसने ३२ हजार करोड़ रुपए किसानों को भेजा। जनता के सामने है, किसान विरोध मानसिकता या विरोधी मानसिकता हितैषी मानसिकता। ५० साल कांग्रेस सत्ता में रही फिर भी किसान की हालत बद से बदतर नहीं होती। गांव का विकास, किसानों की हालत युवाओं को अच्छे मार्ग पर ले जाना चाहती है महिला सशक्तिकरण। गरीबी को जड़ मूल से नष्ट करने का संकल्प लिया है। किसान को ठीक दाम मिले, इस दिशा में घोषणा पत्र में होगा। २००३ में ७ लाख हेक्टेयर सिंचाई की व्यवस्था थी। इसे बढ़ाकर ४० लाख हेक्टेयर पहुंचा दिया। कभी गेहूं केंद्र के पूल में जाए ऐसा नहीं होता था। ५ लाख से ८५ लाख पूल गेहूं जा रहा है। अब हालत यह है कि रखने की जगह नहीं मिलती।
प्रश्न – लुभावने वादे वाले घोषणा पत्र पर अमल नहीं होता है और विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं, भाजपा इसे कितना पूरी करती है और जवाबदेही क्या है?
उत्तर- मेरा भी मानना है कि राजनीतिक दल को अपने घोषणा पत्र उसके प्रति जवाबदेह होना चाहिए। पक्ष में है तो सरकार के माध्यम से करना चाहिए। विपक्ष में है तो वह विरोध के स्वर के साथ खड़े होना चाहिए। प्रदेश में दिक्कत यह है कि कांग्रेस छह माह सक्रिय होती है बाकी साढ़े चार साल पहले तक दिखते नहीं है। दिग्विजय सिंह बड़े नेता है कहते थे कि विकास से नहीं जुगाड़ से चुनाव जीते जाते हैं। कर्मचारी के वोट नहीं चाहिए, यह चोर है। राहुल गांधी यूपीए के काम बताएं तो बहस की जा सकती है। विकास को दाएं बाएं करना और झूठ की राजनीति करना कांग्रेस का चरित्र हो गया है। अवमूल्यन करने का दोष कांग्रेस पर होगा। घोषणा पत्र पर शत-प्रतिशत काम करने का प्रयास किया। इसपर बहस हो सकती है। गरीब आदमी का बच्चा अच्छी शिक्षा हासिल कर सके यह घोषणा पत्र में नहीं था। शिवराज जी ने मेधावी छात्र योजना में २८ हजार लोगों की फीसभरी। जवाबदेही से काम किया है।
प्रश्न – उत्तरप्रदेश में भाजपा चुनाव में कर्जमाफी की बात करती है और मध्यप्रदेश में कांग्रेस के यही करने पर वह मजाक उड़ाती है, ऐसा दोहरापन क्यों है?
उत्तर – हर राज्य की स्थिति अलग होती है। मध्यप्रदेश में जब फसल आती है तो मुख्य सचिव से लेकर विधायक तक खरीदी के प्रयास में जुट जाता है। लेकिन उत्तरप्रदेश में ऐसा नहीं है। वहंा बराबर खरीदी नहीं होती और उचित दाम नहीं मिलते। उसी परिस्थिति को देखते हुए मुद्दे तय किए गए थे।
प्रश्न – किन मुद्दों को लेकर चुनाव में जा रहे हैं, कैसा रहेगा परिदृश्य?
उत्तर- भाजपा प्रदेश में चौथी बार सरकार बनाने में सफल होगी। जीवंत राजनीतिक दल है, सक्रिय रही, हर वर्ग को हर क्षेत्र को स्पर्श करने की सफलतम कोशिश की। भ्रूण हत्या रुके, बेटियों की पैदाइश हो, गरीबों की बेटियों के हाथ पीले हो सकें इसके लिए शिवराज जी ने योजना बनाई। किसान की हालत सुधरे, इसलिए समय पर खाद बीज उपलबध कराया, सिंचाई बढ़ाई, बिजली दी ताकि सिंचाइ हो सके। संबल मेधावी योजना, गांव की बेटी, शिक्षा ऋण योजनाा, युवा उद्यमी योजना से करोड़ों के जीवन में बदलाव आया है। समृद्ध मध्यप्रदेश के संकल्प के साथ चुनाव में हैं।
प्रश्न- कांग्रेस सत्ता का वनवास खत्म करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है, कैसा मुकाबला देखते हैं?
उत्तर – भाजपा ने १५ वर्षों में जिस तरह से काम किया है। घोषित नेता शिवराज जी जिस लोकप्रियता के पायदान पर है उसके आगे कांग्रेस के जितने भी रॉ मटेरियल(नेता) हैं उन्हें एक पलड़े में रख दीजिए तब भी वजन बराबर नहीं बैठेगा। सब कार्यकर्ता मिलकर भाजपा के कार्यकर्ता परिश्रम करेंगे और चौथी बार सरकार बनाने में कामयाब होंगे।

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