मध्यप्रदेश के नीमच के रहने वाले पूर्व आरक्षक नंदकिशोर चौहान ने गृह मंत्री बाला बच्चन को अपनी पीड़ा सुनाने के लिए फोन किया। आरक्षक की बात सुन बाला बच्चन बोले कि मैं कुछ काम कर रहा हूं, आप मेरे सहयोगियों से बात कर लीजिए। आरक्षक रिक्वेस्ट करता है तो मंत्री उसकी बात सुनने के लिए तैयार हो जाते हैं।
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पूर्व आरक्षक ने गृह मंत्री बाला बच्चन को फोन कर बोला कि मध्यप्रदेश में 400 के करीब आईपीएस हैं। इन बंगले पर ड्यूटी के लिए सरकार 4 से 5 जवान आवंटित करती है लेकिन इनके यहां तैनात 20-20 जवान होते हैं। सरकार उन्हें फील्ड में काम करने के लिए भर्ती करती है और ये अधिकारी उनसे बंगले पर काम करवाते हैं। इससे जवान डिप्रेशन में रहते हैं।
पूर्व आरक्षक ने गृह मंत्री बाला बच्चन को फोन कर बोला कि मध्यप्रदेश में 400 के करीब आईपीएस हैं। इन बंगले पर ड्यूटी के लिए सरकार 4 से 5 जवान आवंटित करती है लेकिन इनके यहां तैनात 20-20 जवान होते हैं। सरकार उन्हें फील्ड में काम करने के लिए भर्ती करती है और ये अधिकारी उनसे बंगले पर काम करवाते हैं। इससे जवान डिप्रेशन में रहते हैं।
जब गृह मंत्री बातचीत के दौरान उसकी बातों को क्रॉस करते हैं तो पूर्व आरक्षक कहता है कि सर, आपने कभी नहीं सुना होगा कि कोई आईपीएस आरक्षक से परेशान होकर खुदकुशी कर ली। लेकिन आरक्षक अपने आईपीएस अधिकारी से तंग आकर खुदकुशी करते हैं।
तंग आकर छोड़ दी नौकरी
जब गृह मंत्री बाला बच्चन उससे पूछते हैं कि तुम कहां से आरक्षक हो तो वह जवाब देता है कि सर, मैं इन चीजों से तंग आकर नौकरी छोड़ दी है। उस पर बाला बच्चन बोलते हैं कि ठीक मैं कल से आईपीएस अधिकारियों की बैठक लेने वाला हूं, इन मुद्दों को मैं वहां उठाऊंगा। पूर्व आरक्षक नंदकिशोर चौहान कहता है कि आपसे बड़ी उम्मीद है सर। पूर्व आरक्षक कहता है कि बड़े अधिकारी बहुत परेशान करते हैं।
जब गृह मंत्री बाला बच्चन उससे पूछते हैं कि तुम कहां से आरक्षक हो तो वह जवाब देता है कि सर, मैं इन चीजों से तंग आकर नौकरी छोड़ दी है। उस पर बाला बच्चन बोलते हैं कि ठीक मैं कल से आईपीएस अधिकारियों की बैठक लेने वाला हूं, इन मुद्दों को मैं वहां उठाऊंगा। पूर्व आरक्षक नंदकिशोर चौहान कहता है कि आपसे बड़ी उम्मीद है सर। पूर्व आरक्षक कहता है कि बड़े अधिकारी बहुत परेशान करते हैं।
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पूर्व आरक्षक कहता है कि आईपीएस अधिकारियों को जो सरकारी सुविधाएं मिली हैं, उसका वो मिसयूज कर रहे हैं। आईपीएस अपने आवास पर तैनात जवानों से बच्चों को स्कूल भिजवाते हैं, इसके साथ ही आईपीएस की बीवियों को बाजार लेकर जाता हूं। उनकी पत्नी को हम सैल्यूट मारेंगे। सर, ये कहां का रूल है। गृह मंत्री बोलते हैं कि उनकी पत्नियों को सैल्यूट मारना पड़ता है।
पूर्व आरक्षक कहता है कि आईपीएस अधिकारियों को जो सरकारी सुविधाएं मिली हैं, उसका वो मिसयूज कर रहे हैं। आईपीएस अपने आवास पर तैनात जवानों से बच्चों को स्कूल भिजवाते हैं, इसके साथ ही आईपीएस की बीवियों को बाजार लेकर जाता हूं। उनकी पत्नी को हम सैल्यूट मारेंगे। सर, ये कहां का रूल है। गृह मंत्री बोलते हैं कि उनकी पत्नियों को सैल्यूट मारना पड़ता है।
पूर्व आरक्षक फिर कहता है कि सर, मैंने पुलिस विभाग में इसके लिए आरटीआई डाला था। उन्होंने लिखकर दिया कि ऐसा कोई रूल नहीं है। अगर उनके आवास पर कोई कुक जाता है तो उसे सिर्फ आईपीएस का खाना बनाना होता है लेकिन हमें उनके पूरे परिवार का खाना बनाना पड़ता है। हमलोग तो सर, सिर्फ पद का सम्मान करते हैं। मेरे पास इन सारी चीजों का प्रुफ है।
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हालांकि इस ऑडियो की पुष्टि हमने सीधे गृहमंत्री से की जिसमें उन्होंने माना कि इस तरह का फोन आया था और नंदकुमार की बातों को हम गंभीरता से लेकर उस पर कार्रवाई करेंगे।
हालांकि इस ऑडियो की पुष्टि हमने सीधे गृहमंत्री से की जिसमें उन्होंने माना कि इस तरह का फोन आया था और नंदकुमार की बातों को हम गंभीरता से लेकर उस पर कार्रवाई करेंगे।