पत्र में क्या लिखा
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने पत्र में लिखा कि हरदा जिले के बैरागढ़ गांव में पटाखा फैक्ट्री में हुई दुर्घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है, जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए है। मैंने दिनांक 11 फरवरी 2024 को हरदा के उस स्थान का दौरा किया था जहां यह घटना हुई है। फेक्ट्री में हुए विस्फोट और आग की घटना ने 50 से अधिक घरों को अपनी चपेट में लिया है और लोगों की जान-माल की भारी क्षति हुई है। जिसके लिए हरदा जिला प्रशासन मुख्य रूप से जिम्मेदार है। यह तथ्य सार्वजनिक है कि तत्कालीन कलेक्टर ने इस फैक्ट्री का लाइसेंस रद्द कर दिया था किन्तु कमिश्नर नर्मदापुरम ने कलेक्टर के आदेश पर एक माह के लिए स्थगन दे दिया और स्थगन की अवधि समाप्त होने के बाद भी फैक्ट्री को काम करने की अनुमति दी गई।
पत्र में आगे लिखा है कि इस फैक्ट्री में बिहार और मध्य प्रदेश के अन्य जिलों के मजदूर काम करते थे। इनमें से बड़ी संख्या में मजदूर फैक्ट्री मालिक द्वारा बनाये गये अस्थायी घरों या शेड में निवास कर रहे थे जो सभी क्षतिग्रस्त हो गये है, इसलिए क्षतिग्रस्त घरों को या तो जमीन पर गिराकर पूरी तरह से बनाया जाना चाहिए या जिनकी पूरी तरह से मरम्मत की जा सकती है उनकी पूरी तरह से मरम्मत करवायी जाना चाहिए। मेरी जानकारी में यह भी आया है कि हरदा में 600 घरों की एक ईडब्ल्यूएस कॉलोनी का निर्माण किया जा रहा है। ऐसे सभी परिवार जिनके घर रहने योग्य नहीं हैं, उन्हें अस्थायी रूप से उन घरों में स्थानांतरित किया जा सकता है।
मध्यप्रदेश सरकार ने को फैक्ट्री में काम करने वाले लापता व्यक्तियों की कोई सार्वजनिक सूचना जारी नहीं की है इससे अभी भी यह भ्रम है कि मरने वाले लोगों की संख्या अधिक हो सकती है। इसलिए फैक्ट्री में काम करने वाले लोगों की संख्या सार्वजनिक करनी चाहिए तथा फैक्ट्री के मलबे की फोरेंसिक जांच होनी चाहिए। यह घटना कोई सामान्य घटना नही है और इसके लिये प्रशासन पूरी तरह से जिम्मेदार है इसलिए जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय करने हेतु न्यायिक जांच स्थापित की जानी चाहिए जो 6 माह में अपनी रिपोर्ट सौंपे।