दरअसल, रविवार को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सीएम निवास पर वन विभाग के अफसरों की बैठक ली। पहले विभाग की रिव्यू मीटिंग ली गई, जिसमें लापरवाही बरतने वाले दो अफसरों को सस्पेंड किया गया। इसके बाद हाथियों के साथ साथ वन्य जीव संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लेति हुए सीएम मोहन ने एमपी में एलिफेंट टॉस्क फोर्स गठित करने के निर्देश दिए। सीएम डॉ. मोहन ने कहा कि प्रदेश में राज्य स्तरीय हाथी टास्ट फोर्स गठित की जाएगी। हाथी-मानव सह अस्तित्व सुनिश्चित करने के लिए हाथी मित्र बनाएंगे। जिन क्षेत्रों में हाथियों का मूवमेंट रहता है, वहां किसानों की फसलों को बचाने के लिए सोलर फेंसिंग लगाने की व्यवस्था की जाएगी।
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25 लाख का मिलेगा मुआवजा
सीएम ने वन विभाग को निर्देश दिए कि हाथियों के मूवमेंट वाल क्षेत्रों की कृषि को कैसे बचा सकते हैं? इसके विकल्प तलाशने होंगे। हाथी फसल नष्ट न कर पाएं, यह सुनिश्चित करना होगा। ये चिंता के साथ जागरूकता का विषय है। बफर क्षेत्र में ग्रामीण समुदाय की भागीदारी हाथियों और मानव के सहअस्तित्व को सुनिश्चित कर सकें ताकि ये एक दूसरे के साथ जीना सीखें। ये कटु सत्य है। इसलिए अभी जो घटना घटी, इसमें हमने जनहानि को लेकर 8 लाख रुपए प्रत्येक व्यक्ति दिया, लेकिन अब उसे बढ़ाकर 25 लाख रुपए प्रति व्यक्ति किया जाएगा। हाल ही में जिन दो व्यक्तियों की मौत हुई उनके परिवारों को भी इस फैसले से जोड़ा गया है।केंद्रीय कृषि मंत्री से मार्ग दर्शन लेकर ठोस कार्य करेंगे
यही नहीं किसानों को कृषि के अलावा कृषि वानिकी एवं अन्य वैकल्पिक कार्यों से भी जोड़ने के प्रयास किए जाएंगे। मध्य प्रदेश में आने वाले समय में ऐसे वन क्षेत्र विकसित किए जाएंगे, जिसमें हाथियों की बसाहट के साथ सह अस्तित्व की भावना मजबूत हो। सीएम ने बताया कि इस संबंध में उनकी केंद्रीय वन मंत्री से भी चर्चा हुई है। वे मार्ग दर्शन करेंगे, जिससे वन विभाग इस क्षेत्र में ठोस कार्य कर सके। जिन जिलों में हाथी वन क्षेत्रों में रह रहे हैं, वहां हाथी मित्र जन जागरूकता के लिए काम करेंगे। यह भी पढ़ें- Cold Weather Update : ठंड के लिए अभी करना होगा इतना इंतजार, एमपी के इस शहर में तेजी से लुढ़का पारा
वन अधिकारियों को सतर्क और सजग रहने के निर्देश
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि प्रदेश में उमरिया जिले के वन क्षेत्र में पिछले दिनों 10 हाथियों की अलग-अलग दिन हुई मृत्यु की घटना दुखद और दर्दनाक है, जिसे राज्य शासन ने गंभीरता से लिया है। वन राज्य मंत्री सहित वरिष्ठ अधिकारियों के दल ने क्षेत्र का भ्रमण किया है। प्रारंभिक रिपोर्ट में कोई कीटनाशक नहीं पाया गया है। पोस्ट मार्टम की विस्तृत रिपोर्ट आना शेष है। हाथियों के बड़े दल के रूप में आने की घटना गत दो तीन वर्ष में एक नया अनुभव भी है। उमरिया और सीधी जिले में बड़ी संख्या में हाथियों की मौजूदगी दिख रही है। ऐसे में फील्ड डायरेक्टर व अन्य अधिकारियों को सतर्क और सजग रहने की जरूरत है।प्रदेश के अधिकारी कर्नाटक, केरल और असम जाकर करेंगे अध्ययन
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि बांधवगढ़ क्षेत्र एवं अन्य वन क्षेत्रों में हाथियों के रहने की अनुकूल और आकर्षक स्थिति है। वन क्षेत्रों का प्रबंधन उत्तम होने से हाथियों के दल जो छत्तीसगढ़ एवं अन्य राज्यों से आया करते थे और वापस चले जाते थे वे अब वापस नहीं जा रहे हैं। यहां बड़े पैमाने पर हाथियों द्वारा डेरा डालने की स्थिति देखी जा रही है। ये मध्य प्रदेश की वन विभाग की गतिविधियों का हिस्सा बन गए हैं। ऐसे में हाथियों की आवाजाही देखते हुए स्वाभाविक रूप से स्थाई प्रबंधन के लिए शासन स्तर पर हाथी टास्क फोर्स बनाई जाएगी। हाथियों को अन्य वन्य प्राणियों के साथ किस तरह रहवास की सावधानियां रखना चाहिए, इसपर भी योजना बनाई जा रही है। इसमें कर्नाटक, केरल और असम जैसे राज्यों की बेस्ट प्रेक्टिसेस को शामिल किया जाएगा। इन राज्यों में बड़ी संख्या में हाथी रहते हैं। इन राज्यों में मध्यप्रदेश के अफसरों को भेजा जाएगा ताकि सहअस्तित्व की भावना के आधार पर हाथियों के साथ बफर एरिया, कोर एरिया में बाकी का जन जीवन प्रभावित न हो, इसका अध्ययन किया जाएगा। हाथियों की सुरक्षा को भी खतरा न हो। इस पर हमने गंभीरता से विचार किया है। एक बात हमने ओर अनुभव की है नजदीक के बफर एरिया के बाहर के जो मैदानी इलाके हैं वहां की फसलें उसमें सोलर फेंसिंग या सोलर पैनल द्वारा व्यवस्था कर फसलों को सुरक्षित किया जाएगा। यह मनुष्यों के लिए भी सुरक्षा का साधन होगा।