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इसके अनुसार चुनाव के दो माह पहले भी परिसीमन हो सकेगा। इसका अध्यादेश तैयार हो गया है। विधि विभाग ने इस पर अपनी सहमति दे दी है। जल्द ही इसे कैबिनेट में लाया जाएगा। प्रदेशभर में 16 नगर निगम, 98 पालिका और 294 नगर परिषद हैं। इनमें से 297 का कार्यकाल 15 जनवरी 2020 तक समाप्त हो जाएगा। चुनाव टलने की स्थिति में निकायों की कमान प्रशासक को सौंपी जा सकती है।
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इस कारण टल सकते हैं निकाय चुनाव
कैबिनेट से अध्यादेश को मंजूरी मिलते ही सरकार परिसीमन शुरू करेगी। बाद में हर निकाय में आबादी के हिसाब से वार्ड का निर्धारण और अंत में वार्ड का आरक्षण होगा। पूरी प्रक्रिया में लगभग 4 माह का समय लगने की संभावना है। ऐसे में सरकार निकाय चुनाव की पूरी तैयारी जनवरी तक कर पाएगी।
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निवार्चन नियमों के अनुसार एक जनवरी के बाद मतदाता सूची का नए सिरे से पुनरीक्षण कराना अनिवार्य है। फोटो युक्त मतदाता सूची पुनरीक्षण कराने में दो से तीन माह का समय लगेगा। इससे निकाय चुनाव तय समय से चार माह तक देरी से हो सकते हैं।
निकाय चुनाव को लेकर मेरी अध्यक्षता में मंत्रीमंडल उप समिति बनी थी। अधिनियम में कुछ बदलाव की अनुशंसा की है। इसमें अध्यादेश लाकर बदलाव किया जा रहा है। – सज्जन सिंह वर्मा, मंत्री
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दलीय आधार पर नहीं हों चुनाव
मप्र नगर पालिका अधिनियम में 11 जनवरी 2017 को संशोधन किया था। इसके अनुसार निकायों के कार्यकाल की पूर्णता के 6 माह पहले परिसीमन और वार्डों के सुधार की प्रक्रिया जरूरी है। परिसीमन तिथि 10 जुलाई को समाप्त हो चुकी है। यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक चुनाव नहीं हो सकते।
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मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के नेतृत्व में मंत्रिमंडल की उप समिति गठित की थी। इसने अधिनियम में बदलाव कर चुनाव से 2 माह पहले परिसीमन करने का सुझाव दिया है। उप समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि पंचायत चुनाव का फार्मूला अपनाते हुए नगरीय निकायों के चुनाव दलीय आधार पर नहीं कराए जाएं। जीतने के बाद पार्षद किसी भी दल को अपना समर्थन कर सकते हैं। इस मामले में अंतिम निर्णय सीएम को लेना है।