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आनंद संस्थान की मुहिम से प्रेरणा
इन कारोबारी, व्यापारी और दुकानदारों के मुताबिक, ऐसा वो खुद अपने आनंद और आध्यात्मिक संतुष्टि के लिए कर रहे हैं। बता दें कि, एक अक्टूबर अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर कुछ अलग और सार्थक प्रयास करने के लिए आनंद संस्थान ने बुजुर्गों के सम्मान में इस मुहिम की शुरुआत भोपाल से की थी, जिसे अन्य शहरों के लोगों तक पहुंचाया गया। जहां जहां बुजुर्गों के प्रति ये उद्देश्य पहुंचा वहां के कारोबारियों ने इसे हाथों-हाथ लिया। साथ ही, संगठित होकर ये ऐलान भी कर दिया कि, अब हमारी ओर से बुजुर्गों के सम्मान में मुनाफा नहीं लिया जाएगा।
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इन शहरों में अच्छा रिस्पांस
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से शुरु हुए इस प्रयास को अब भोपाल ही नहीं बल्कि सूबे के इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन, विदिशा, बड़वानी और मंडला जैसे छोटे बड़े कई शहरों में खास रिस्पॉन्स मिलने लगा है। इनमें होटल-रेस्टोरेंट, अस्पताल, दवा विक्रेता, किराना व्यवसायी, जनरल स्टोर्स, डिपार्टमेंटल स्टोर, फिजियोथैरेपिस्ट, कोचिंग इंस्टीट्यूट और सेलून संचालक से लेकर कारपेंटर आदि ने भी स्वेच्छा से आगे आकर बुजुर्गवार ग्राहकों को नो प्रॉफिट नो लॉस के तहत किसी भी सामान पर रियायत देने का ऐलान किया है। आनंद संस्थान की ओर से प्रदेश भर में संस्थान के करीब 50 हजार आनंदक (volunteer) अपने अपने इलाके के अनुसार गांव शहर के ज्यादा से ज्यादा व्यवसाइयों को बुजुर्ग सम्मान की खातिर इस मुहिम से जुड़ने की सलाह दे रहे हैं।
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सामाजिक स्तर पर पहली शुरुआत : अर्गल
प्रयास की जानकारी देते हुए राज्य आनंद संस्थान के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अखिलेश अर्गल ने बताया कि, सरकार की ओर से बुजुर्गों के लिए कई योजनाएं संचालित की गई हैं, लेकिन सामाजिक स्तर पर अब तक ऐसी कोई पहल नही हुई थी। इसे व्यापारी वर्ग की ओर से प्रदेश के बुजुर्गों के लिए पहली शुरुआत होगी, जिसके तहत प्रदेश के लगभग सभी कारोबारी अपनी स्वेच्छा से बुजुर्गों के लिए इस खास सेवा को शुरु कर रहे हैं। इसका मूल उद्देश्य बुजुर्गों के प्रति घर-परिवार से लेकर समाज में भी विशेष सम्मान के भाव का बढ़ावा देना है। भोपाल में तो कई छात्रों को कोचिंग देने वाले इंस्टीट्यूशन्स ने भी ये निर्णय लिया है कि किसी बच्चे के साथ बुजुर्ग परिजन आते हैं तो उन्हें फीस में 50 फीसदी तक रियायत दी जाएगी। जल्द ही, संस्थान की वेबसाइट प्रदेशभर के उन सभी व्यापारियों की जानकारी होगी जो इस तरह की सेवाएं दे रहे हैं। साथ ही, एक ऐप भी इसकी जानकारी देने के लिए बनाया जाएगा। ऐसी दुकानों पर बुजुर्गों के लिए दी जा रही इस सुविधा के बारे में सूचना भी टांगी जाएगी।