साथ ही यह भी माना जा रहा है कि आगामी दिनों में धार्मिक उन्माद एवं शिक्षा के क्षेत्र में कोई बड़ा खुलासा हो सकता है। ज्योतिष के समीकरणों के कारण ज्योतिष के जानकारों द्वारा ऐसा होने के कयास लगाया जा रहा हैं।
कालसर्प दोष की शांति के लिए हबीबगंज रेलवे स्टेशन स्थित त्रंबकेश्वर धाम मां भवानी शिव मंदिर पर 13 फरवरी से 15 फरवरी तक ब्रह्म शक्ति ज्योतिष संस्थान द्वारा तीन दिवसीय विशेष अनुष्ठान कराया जाएगा। यह अनुष्ठान शिवरात्रि के मौके पर होंगे।
जानकारी के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष, मंगल दोष, राहु-केतु व शनि की महादशा एवं अंतर्दशा के कारण समय विपरीत चल रहा है। उनके लिए यह शांति अनुष्ठान किए जाएंगे। यज्ञ में शामिल होने के लिए कोई भी व्यक्ति अपना पंजीयन करा सकता है।
ज्योतिष के अनुसार जहां कुछ जगह कालसर्प को दोष के रूप में देखा जाता है, वहीं कई लोग इसे योग की श्रेणी में भी रखते हैं। दरअसल कुंण्डली में सभी ग्रहों का राहू व केतु के बीच में आ जाना कालसर्प दोष कहलाता है। यानि जन्म कुंडली में राहु और केतु के मध्य समस्त ग्रहों के एकत्रित होने से निर्मित योग काल सर्प कहलाता है।
1. महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
2. कालसर्प योग शांति के लिए नागपंचमी के दिन व्रत करें। 3. काले नाग-नागिन का जोड़ा सपेरे से मुक्त करके जंगल में छोड़ें।
4. चांदी के नाग-नागिन के जोड़े को बहते हुए दरिया में बहाने से इस दोष का शमन होता है।
6. अष्टधातु या कांसे का बना नाग शिवलिंग पर चढ़ाने से भी इस दोष से मुक्ति मिलती है।
7. शिव के ही अंश बटुक भैरव की आराधना से भी इस दोष से बचाव हो सकता है।
8. घर की चौखट पर मांगलिक चिन्ह बनवाने विशेषकर चाँदी का स्वास्तिक जड़वाने से शुभता आती है, काल सर्पदोष (Kaal Sarp Dosh) में कमी आती है ।
9. पंचमी के दिन 11 नारियल बहते हुए पानी में प्रवाहित करने से काल सर्पदोष दूर होता है , यह उपाय श्रवण माह की पंचमी अर्थात नाग पंचमी (Nag Panchmi) को करना बहुत फलदायी होता है ।
10. किसी शुभ मुहूर्त में ओउम् नम: शिवाय’ की 21 माला जाप करने के उपरांत शिवलिंग का गाय के दूध से अभिषेक करें और शिव को प्रिय बेलपत्रा आदि श्रध्दापूर्वक अर्पित करें। साथ ही तांबे का बना सर्प शिवलिंग पर समर्पित करें।
11. श्रावण महीने के हर सोमवार का व्रत रखते हुए शिव का रुद्राभिषेक करें। शिवलिंग पर तांबे का सर्प विधिपूर्वक चढ़ायें।
12. श्रावण मास में 30 दिनों तक महादेव का अभिषेक करें।
13. श्रावण के प्रत्येक सोमवार को शिव मंदिर में दही से भगवान शंकर पर – हर हर महादेव’ कहते हुए अभिषेक करें।
15. नाग पंचमी एवं प्रत्येक माह के दोनों पक्षों की पंचमी के दिन “ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा” मंत्र का जाप अवश्य ही करें। इससे काल सर्प योग ( kaal Sarp Yog ) के दुष्प्रभाव में कमी होती है ।
17. जिस भी जातक पर काल सर्प दोष हो उसे कभी भी नाग की आकृति वाली अंगूठी को नहीं पहनना चाहिए ।
18. सर्प सूक्त से उनकी आराधना करें।
ब्रह्मलोकेषु ये सर्पा शेषनाग परोगमा:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।1।।
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासुकि प्रमुखाद्य:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।2।।
कद्रवेयश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।3।।
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखाद्य।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।4।।
सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।5।।
मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखाद्य।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।6।।
पृथिव्यां चैव ये सर्पा: ये साकेत वासिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।7।।
सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।8।।
ग्रामे वा यदि वारण्ये ये सर्पप्रचरन्ति।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।9।।
समुद्रतीरे ये सर्पाये सर्पा जंलवासिन:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।10।।
रसातलेषु ये सर्पा: अनन्तादि महाबला:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।11।।