भोपाल

शिक्षा मंत्री ने कहा- LKG से चौथी कक्षा तक पढ़ाई जाए संस्कृत, रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम के लिए प्रशिक्षण दें

आयुर्वेद में डिप्लोमा कोर्स प्रारंभ होगा

भोपालDec 22, 2020 / 08:08 am

Pawan Tiwari

शिक्षा मंत्री ने कहा- LKG से चौथी कक्षा तक पढ़ाई जाए संस्कृत, रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम के लिए प्रशिक्षण दें

भोपाल. स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री इन्दर सिंह परमार ने कहा कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने की दिशा में संस्कृत में रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण दिया जाए। उन्होंने आयुर्वेद में डिप्लोमा कोर्स प्रारंभ करने के निर्देश भी दिए।
संस्कृत को उपेक्षा की नहीं, अपेक्षा की भाषा बनाए
परमार ने कहा संस्कृत भाषा व्याकरण की दृष्टि से एक समृद्ध भाषा है। यह अध्ययन अध्यापन से लेकर कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की भाषा के रूप में भी उपयोग की जा सकती है। इसे उपेक्षा कि नहीं बल्कि अपेक्षा की भाषा बनाएं। इसके विकास के लिए एक राष्ट्रीय कान्‍फ्रेंस का आयोजन करें। इससे युवाओं में योग्यता के साथ-साथ संस्कार के गुणों का भी विकास होगा।
कक्षा 1 से 4 तक की कक्षाओं में पढ़ाए संस्कृत
परमार ने निर्देश दिए कि प्रदेश के हर जिला मुख्यालय में एक शासकीय विद्यालय में LKG और UKG से लेकर चौथी कक्षा के विद्यार्थियों को संस्कृत भाषा में पढ़ाई कराएं। इससे बचपन में ही बच्चों में संस्कृति और संस्कार के गुण आएंगे। इससे पूर्व विद्यालयों में कक्षा पांचवी से संस्कृत भाषा में शिक्षा प्रारंभ होती थी।
वेधशाला उज्जैन को विश्वस्तरीय संस्थान के रूप में किया जाएगा विकसित
परमार ने उज्जैन स्थित वेधशाला को विश्व स्तरीय संस्थान के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए। इससे अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तथा दुनिया भारत के प्राचीन इतिहास, संस्कृति और विज्ञान से परिचित हो सकेगी। उन्होंने शासकीय आदर्श संस्कृत विद्यालय उज्जैन को महाकालेश्वर वैदिक शोध संस्थान में विलय करने के निर्देश दिए।
राज्य मंत्री परमार ने शासकीय कन्या आवासीय संस्कृत विद्यालय भोपाल की तर्ज पर शासकीय बालक आवासीय संस्कृत विद्यालय की स्थापना करने के निर्देश दिए। उन्होंने निर्देश दिए कि संस्थान के पांचों आदर्श संस्कृत विद्यालयों को आवासीय संस्कृत विद्यालयों में परिवर्तित करें। इनमे हायर सेकेंडरी स्कूल के पदों का सेटअप उपलब्ध कराएं। उन्होंने सभी 28 संस्कृत विद्यालयों में भी शासकीय कन्या आवासीय संस्कृत विद्यालय भोपाल के समान पद संरचना बनाने के निर्देश दिए।
परमार ने निर्देश दिए कि संस्कृत भाषा में शेष 55 पाठ्य पुस्तकों का लेखन कार्य शीघ्र पूर्ण करें। इनका बाल मनोयोग का ध्यान रखते हुए एनसीईआरटी के अनुरूप लेखन करें। संस्कृत के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं को प्रोत्साहित एवं पुरस्कृत करें। संस्कृत के प्रसिद्ध विद्वानों और बुद्धिजीवीयों को इस संस्थान से जोड़े। संस्कृत भाषा में रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण आयोजित करने के लिए आवश्यक कार्ययोजना बनाए।

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