पहला जहां कॉलोनी बस चुकी है उन स्थानों के नीचे पहाड़ी में दरारों में पानी भरना, दूसरा अधिक बरसात से मिट्टी का सैचुरेटेड (तर) हो जाना। तीसरा आसपास 2 से 3 किमी में कोलार और कलियासोत डैम में पानी अधिक मात्रा में एकत्रित होना। इन संभावित कारणों के चलते धमाकों की आवाज आ रही है।
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जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की स्टेट यूनिट के डायरेक्टर भूपेंद्र सिंह ने तर्क दिया है कि सिस्मोग्राफी यंत्र में भोपाल और आसपास 300 किमी के क्षेत्र में कोई भूकंप की गतिविधियां नहीं हुई हैं। ये क्षेत्र सिस्मिक जोन टू में होने के कारण सुरक्षित जोन में है। ऐसे में जमीन के अंदर से धमाके की वजह सिर्फ पहाड़ी में पड़ी दरारें, आसपास क्षेत्र में पानी की बहुतायत है।
बरसात के बाद नहीं रुके तो करानी होगी ग्राउंड पेनीट्रेशन राडार स्टडी
रिपोर्ट में बताया है कि धमाके मानसून खत्म होने के बाद बंद हो जाएंगे, अगर नहीं होते हैं तो जिन क्षेत्रों से आवाजें आ रही हैं उन जगहों का ग्राउंड पेनीट्रेशन राडार स्टडी करानी होगी या जियोग्राफिकल सर्वे से पता चलेगा कि जमीन में अंदर क्या उथल पुथल हो रही है। प्रशासन को सामुदायिक कम्यूनिटी मैनेजमेंट प्लान भी बनाना होगा, जिसमें लोगों को सुरक्षा के लिए क्या उपाए किए जाएं इस पर जानकारी या डेमो देना होगा।
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रिपोर्ट में तीन संभावनाएं हमें नजर आ रहीं हैं जो धमाकों की वजह बन सकती हैं। बरसात के बाद ये बंद होनी चाहिए। अगर नहीं होती हैं तो इसकी डिटेल स्टडी कराने की जरूरत होगी।
– भूपेंद्र सिंह, डायरेक्टर, स्टेट यूनिट, मप्र, जियोलॉजीकल सर्वे ऑफ इंडिया