दरअसल, 22 साल से गाड़ी का रजिस्ट्रेशन और ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का काम कर रही कंपनी 30 सितंबर से काम बंद करने जा रही है। स्मार्ट चिप कंपनी ये सूचना लिखकर 12 सितंबर को आरटीओ अधिकारियों को दे दिया है। इस कंपनी के काम बंद करने के बाद काम करने वाले वर्कर की संख्या करीब 38 रहेगी। जिससे ड्राइविंग लाइसेंस बनने व गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन का काम बहुत कम होगा। इसी कारण लोगों की परेशानी बढ़ने की संभावना है।
ये भी पढ़ें: एमपी के इन 6 जिलों की जमीन चिह्नित, 11 हजार करोड़ का होगा निवेश नहीं आता काम
आरटीओ में क्लेरिकल कर्मचारियों की कुल संख्या 725 है। जिनमें से 450 कर्मचारी स्मार्ट चिप कंपनी से संबंधित हैं। यही कर्मचारी ड्राइविंग लाइसेंस के कार्ड की प्रिंटिंग, गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन कार्ड की प्रिंटिंग के साथ कई तकनीकी काम भी करते हैं लेकिन, आश्चर्य की बात यह है कि इतना अहम काम परिवहन विभाग के वर्कर को नहीं आता।
कोई अन्य वैकल्पिक व्यवस्था नहीं
हैरान करने वाली बात यह है कि परिवहन विभाग ने कोई अन्य वैकल्पिक व्यवस्था आज तक नहीं की । अगर विभाग किसी संस्था से अस्थायी सेवाएं लेता है तो उसे पहले सरकार से परमिशन लेनी होती है। लेकिन इस परमिशन पर अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है इस कारण से आरटीओ का सारा काम बंद पड़ा है। बता दें कि स्मार्ट चिप कंपनी की जिम्मेदारी थी कि वह 3 साल तक विभाग के वर्कर को तकनीकी ट्रेनिंग दे लेकिन इन 22 सालों में न ट्रनिंग दी गई और न ही किसी वर्कर ने ट्रेनिंग ली।
आरटीओ अधिकारियों ने दी जानकारी
आरटीओ अधिकारियों का कहना है कि नई कंपनी के चयन के लिए टेंडर प्रक्रिया चल रही है। तब तक कार्ड प्रिंटिंग के लिए दूसरी व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है।