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शोध में हुआ खुलासा
नारियल, जिसे कई लोग श्रीफल भी कहते हैं। वैसे हिन्दू रीति के अुसार, नारियल को शुभता का प्रतीक माना जाता है। इसे उपहार स्वरूप किसी क भेंट करना भी शुभ माना जाता है। इसके अलावा, आयुर्वेद में भी इसके गुणों के कारण एक खास स्थान प्राप्त है। नारियल देर से पचने वाला, मूत्र शोधक, बलवर्धक, रक्तविकार नाशक तथा वात-पित्त नाशक है। एक शोध में ये बात भी सामने आई है कि, स्वस्थ-सुंदर संतान प्राप्ति के लिए गर्भवती महिला रोजाना नारियल का सेवन करती है, तो इसके लाभ स्वरूप उसे स्वस्थ और सुंदर संतान की प्राप्ति की प्रबलता होती है।
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-खाज-खुजली में नारियल के तेल में नींबू का रस और कपूर मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाने से लाभ मिलता है। पित्तजन्य सभी विकारों के निदान में नारियल विशेष रूप से लाभकारी है। इसके लिए कच्चे नारियल की गिरी, रस तथा सफेद चंदन का बुरादा मिला दें। इस मिश्रण की 10 ग्राम मात्रा को रात को पानी में भिगो दें। सुबह छानकर इसे खाली पेट पिएं। सभी पित्तजन्य व्याधियां इससे दूर हो जाती हैं।