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भोपाल

सामाजिक व आर्थिक ताने-बाने में बुजुर्ग होते व्यक्ति की पीड़ा को दर्शाता नटसम्राट

शहीद भवन में नाटक ‘नटसम्राट’ का मंचन, ढाई साल बाद भोपाल में हुआ नाटक का मंचन, अब तक 41 शो हो चुके

भोपालMay 01, 2023 / 10:37 pm

hitesh sharma

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भोपाल। शहीद भवन में रविवार की शाम नाटक ‘नटसम्राट’ का मंचन हुआ। एक रंगकर्मी की कहानी को बयां करता नटसम्राट नाटक सीधे-सीधे उसके परिवार और फिर समाज से जुड़ते हुए उसके जीवन में आने वाली कठिनाइयों को बयां करता है। सामाजिक व आर्थिक ताने-बाने में बुजुर्ग होते व्यक्ति की पीड़ा को दर्शाते नटसम्राट यह बताता है कि व्यक्ति अंत में किस तरह से अकेला पड़ जाता है और महानगरीय संस्कृति में उसे वृद्धावस्था में किस तरह से परेशानियों का सामना करना पड़ता है। परिवार में व्यक्ति की महत्ता तब तक ही रहती है जब तक वह कमाता है। जब जीवन में उसे परिवार के सदस्यों की जरूरत महसूस होती है, तब वे उससे दूर जाना चाहते हैं।इस कहानी में कई स्तर हैं। एक कलाकार का अपना जीवन है, जो अपनी भूमिकाओं और अपनी भूमिकाओं के बाहर के यथार्थ के बीच तालमेल बैठा नहीं पाता। उसका अपना अक्खड़पन है, जो एक कलाकार का है, जिसे उसकी संतान नहीं समझ पाती। दूसरा स्तर परिवार का है, जिसमें बुजुर्गों की सीमा तय कर दी गई है। फिर उपेक्षा, उपहास और पीड़ा का संसार बनता है। जयंत देशमुख निर्देशित इस नाटक की प्रस्तुति एकरंग संस्था के कलाकारों ने दी। नटसम्राट मराठी रंगमच के एक अभिनेता गणपतराव वेलवलकर की कहानी है, जो शेक्सपीरियन शैली का अभिनेता है।

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मंच से परे चरित्र को रियल जिंदगी में भी जीता है गणपतराव

नाटक में दिखाया कि गणपतराव नटसम्राट की उपाधि मिलने पर थियेटर से तो रिटायर्ड हो जाते हैं, लेकिन हमेशा अपने निभाए गए चरित्रों को भी वर्तमान में जीते रहते हैं। जैसे मंच के अंधेरे उजाले रोशनी को अपनी जिंदगी के पास बैठाए हुए है। उनका बेटा और शादीशुदा बेटी ऐसा मानते है कि उन्होनें घर में भी थियेटर जैसा माहौल बना दिया है। इधर पत्नी की जिदंगी पति और बच्चों के बीच पिसती रहती है। गणपतराव को लगता कि जिन बच्चों को जन्म दिया पाला पोसा वहीं उनकी जिदंगी का कांटा बन गए है। दुनिया ने उसे आजाद खयाल नट के खिताब से नवाजा है।

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जिंदगी की त्रासदी का समुद्र

गणपतराव के व्यवहार में दोहराव नहीं है, यह उसकी शख्सियत की अटूट हिस्सा रहा। अभिनेता होना बहुत कठिन है, जिस तरह स्त्री के पास ढेर सारा अनकहा दुख होता है ठीक उसी तरह ट्रेजेडी किंग नटसम्राट गणपतराव के पास जिंदगी की त्रासदी का समुद्र है। लेकिन इसे वह कहना नहीं चाहता है। एक समय ऐसा आता है कि वह कहता है कि दूर हटो दूर हटो दया दिखाने के लिए यह जूलियस सीजर किसी से प्रार्थना नहीं करता और कोई प्रार्थना करे उस पर दया नहीं करता।

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