चांद और अच्छे मियां को नहीं भाता साथ
नाटक में दिखाया चांद मियां और अच्छे मियां रिश्ते में समधी हैं मगर मिजाज दोनों के अलग हैं। दोनों के बच्चे उनको एक मकान देकर विदेश चले गए हैं। दोनों एक-दूसरे से पीछा छुड़ाने का जतन करते हैं, तभी उस मकान में सुरैया आती है जो उस मकान पर अपना दावा पेश करती है।
सुरैया करना चाहती है मकान पर कब्जा
अब चांद मियां और अच्छे मियां मिलकर सुरैया के कब्जे से बचने का जतन करते है, उस मकान पर लोकल गुंडे की भी नजर है, जो इन तीनो से छुटकारा पाकर मकान हथियाना चाहता है। नाटक में आगे दिखाया गया कि सभी को अपनी गलती का अहसास होता है। नाटक के माध्यम से मध्यमवर्गीय परिवार के मकान और अकेलेपन की समस्या के साथ एक-दूसरे के जलने कुढऩे की मानसिकता को हास्य व्यंग्य के माध्यम से प्रस्तुत किया है।