छिंदवाड़ा से डफी आया भोपाल
मुख्यमंत्री कनलनाथ के बंगले की चौकसी अब डफी, रेणु और सिकंदर करेंगे। सीएम हाउस में आने वाला कोई भी व्यक्ति इनकी हरी झंडी के बाद ही बंगले में घुस पाएगा। ये तीनों स्निफर डॉग हैं। जिन्हें सीएम हाउस की सुरक्षा के मद्देनजर विशेष तौर पर ट्रांसफर करके छिंदवाड़ा से भोपाल लाया गया है। फिलहाल ये तीनों डॉग अलग-अलग जिलों में थे। राज्य शासन ने शुक्रवार को पीटीएस डॉग बाहिनी विलबल के तहत डॉग हैंडलर समेत 26 कुत्तों के तबादले किए हैं।
मुख्यमंत्री कनलनाथ के बंगले की चौकसी अब डफी, रेणु और सिकंदर करेंगे। सीएम हाउस में आने वाला कोई भी व्यक्ति इनकी हरी झंडी के बाद ही बंगले में घुस पाएगा। ये तीनों स्निफर डॉग हैं। जिन्हें सीएम हाउस की सुरक्षा के मद्देनजर विशेष तौर पर ट्रांसफर करके छिंदवाड़ा से भोपाल लाया गया है। फिलहाल ये तीनों डॉग अलग-अलग जिलों में थे। राज्य शासन ने शुक्रवार को पीटीएस डॉग बाहिनी विलबल के तहत डॉग हैंडलर समेत 26 कुत्तों के तबादले किए हैं।
तेज-तर्रार हैं तीनों डॉग
जिन तीनों डॉगों को सीएम की सुरक्षा में लगाया गया है वो तेजतर्रार हैं। ये जहां भी रहे वहां एक भी बड़ी घटना नहीं हुई है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इसी कारण से तीनों स्निफर को सीएम हाउस के लिए चुना गया है। इनमें डफी नौ महीने, रेणु आठ साल और सिंकदर छह साल का है। इनकी औसत आयु 10 से 12 साल की होती है।
जिन तीनों डॉगों को सीएम की सुरक्षा में लगाया गया है वो तेजतर्रार हैं। ये जहां भी रहे वहां एक भी बड़ी घटना नहीं हुई है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इसी कारण से तीनों स्निफर को सीएम हाउस के लिए चुना गया है। इनमें डफी नौ महीने, रेणु आठ साल और सिंकदर छह साल का है। इनकी औसत आयु 10 से 12 साल की होती है।
पहले कुत्तों को दी जाती थी रैंक
इससे पहले मध्यप्रदेश में कुत्तों को बाकायदा कांस्टेबल से लेकर टीआई तक की रैंक दी जाती थी लेकिन अब रैंक को खत्म कर दिया गया है। उनकी खुराक का बजट अलॉट होता है। ये 11-12 साल बाद रिटायर हो जाते हैं। सरकार के मुताबिक ये रूटीन तबादले हैं। बता दें कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार बनाने के बाद से अब तक कई कर्मचारियों, अधिकारियों और नौकरशाहों के तबादले किए गए हैं।
इससे पहले मध्यप्रदेश में कुत्तों को बाकायदा कांस्टेबल से लेकर टीआई तक की रैंक दी जाती थी लेकिन अब रैंक को खत्म कर दिया गया है। उनकी खुराक का बजट अलॉट होता है। ये 11-12 साल बाद रिटायर हो जाते हैं। सरकार के मुताबिक ये रूटीन तबादले हैं। बता दें कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार बनाने के बाद से अब तक कई कर्मचारियों, अधिकारियों और नौकरशाहों के तबादले किए गए हैं।