प्रत्येक व्यक्ति, दीपावली के दिन चाहे वह व्यवसाय से जुड़ा हो, सेवा कार्य से हो या नौकरी से, हर व्यक्ति अपने व्यवसायिक स्थान व घर पर मां लक्ष्मी और गणेश जी का विधिवत पूजन कर धन की देवी लक्ष्मी से सुख-समृद्धि और गणेश जी से बुद्धि की कामना करता है। पंडित सुनील शर्मा के अनुसार दीपावली की पूजा का अत्यधिक महत्व माना जाता है, इस कारण इस पूजा की सामग्री सहित कई चीजों का ध्यान भी रखना होता है…
Diwali Puja Vidhi (दीपावली पूजा की विधि) :-
1. दीप स्थापना: सबसे पहले पवित्रीकरण करें। आप हाथ में पूजा के जलपात्र से थोड़ा-सा जल ले लें और अब उसे मूर्तियों के ऊपर छिड़कें। साथ में मंत्र पढ़ें। इस मंत्र और पानी को छिड़ककर आप अपने आपको पूजा की सामग्री को और अपने आसन को भी पवित्र कर लें।
1. दीप स्थापना: सबसे पहले पवित्रीकरण करें। आप हाथ में पूजा के जलपात्र से थोड़ा-सा जल ले लें और अब उसे मूर्तियों के ऊपर छिड़कें। साथ में मंत्र पढ़ें। इस मंत्र और पानी को छिड़ककर आप अपने आपको पूजा की सामग्री को और अपने आसन को भी पवित्र कर लें।
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।। अब पृथ्वी पर जिस जगह आपने आसन बिछाया है, उस जगह को पवित्र कर लें और मां पृथ्वी को प्रणाम करके मंत्र बोलें:
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।। अब पृथ्वी पर जिस जगह आपने आसन बिछाया है, उस जगह को पवित्र कर लें और मां पृथ्वी को प्रणाम करके मंत्र बोलें:
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग ऋषिः सुतलं छन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥
पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः अब आचमन करें :
ॐ केशवाय नमः
ॐ नारायणाय नमः
ॐ माधवाय नमः
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥
पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः अब आचमन करें :
ॐ केशवाय नमः
ॐ नारायणाय नमः
ॐ माधवाय नमः
हाथों को धो लें ॐ हृषिकेशाय नमः आचमन आदि के बाद आंखें बंद करके मन को स्थिर कीजिए और तीन बार गहरी सांस लीजिए। यानी प्राणायाम कीजिए क्योंकि भगवान के साकार रूप का ध्यान करने के लिए यह आवश्यक है। फिर पूजा के प्रारंभ में स्वस्तिवाचन किया जाता है।
उसके लिए हाथ में पुष्प, अक्षत और थोड़ा जल लेकर स्वतिनः इंद्र वेद मंत्रों का उच्चारण करते हुए परम पिता परमात्मा को प्रणाम किया जाता है। फिर पूजा का संकल्प किया जाता है। संकल्प हर एक पूजा में प्रधान होता है।
संकल्प:
आप हाथ में अक्षत लेकर, पुष्प और जल ले लीजिए। कुछ द्रव्य भी ले लीजिए। द्रव्य का अर्थ है कुछ धन। ये सब हाथ में लेकर संकल्प मंत्र को बोलते हुए संकल्प कीजिए कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं, जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हों।
सबसे पहले गणेशजी व गौरी का पूजन कीजिए। उसके बाद वरुण पूजा यानी कलश पूजन करनी चाहिए। हाथ में थोड़ा सा जल ले लीजिए और आह्वान व पूजन मंत्र बोलिए और पूजा सामग्री चढ़ाइए। फिर नवग्रहों का पूजन कीजिए। हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलिए। इसके बाद भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन किया जाता है।
आप हाथ में अक्षत लेकर, पुष्प और जल ले लीजिए। कुछ द्रव्य भी ले लीजिए। द्रव्य का अर्थ है कुछ धन। ये सब हाथ में लेकर संकल्प मंत्र को बोलते हुए संकल्प कीजिए कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं, जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हों।
सबसे पहले गणेशजी व गौरी का पूजन कीजिए। उसके बाद वरुण पूजा यानी कलश पूजन करनी चाहिए। हाथ में थोड़ा सा जल ले लीजिए और आह्वान व पूजन मंत्र बोलिए और पूजा सामग्री चढ़ाइए। फिर नवग्रहों का पूजन कीजिए। हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलिए। इसके बाद भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन किया जाता है।
हाथ में गंध, अक्षत, पुष्प ले लीजिए। 16 माताओं को नमस्कार कर लीजिए और पूजा सामग्री चढ़ा दीजिए। 16 माताओं की पूजा के बाद रक्षाबंधन होता है। रक्षाबंधन विधि में मौलि लेकर भगवान गणपति पर चढ़ाइए और फिर अपने हाथ में बंधवा लीजिए और तिलक लगा लीजिए।
अब आनंदचित्त से निर्भय होकर महालक्ष्मी की पूजा प्रारंभ कीजिए। पूजन के समय ध्यान देने योग्य बातें:
– पूजा प्रारम्भ करने से पहले जलपत्र एवं कलश मे गंगा जल मिला लें ।
– ताम्बूल बनाने के लिये पान के पत्ते को उल्टा करके उस पर लौंग इलायची सुपारी एवं कुछ मीठा रखें ।
– दुर्वा में तीनपत्ती होनी चहिये ।
– गणपति पर तुलसी दल ना चढ़ायें ।
– जमीन पर गिरा हुआ ,बासी ,कीड़ा खाया हुआ फूल न चढ़ायें ।
– टूटी फूटी मुर्तियों को नदी मे, मंदिर में या पीपल के नीचे विसर्जित करे ।
– लक्ष्मी प्राप्ति के लिये लक्ष्मी मंत्र कमलगट्टे की माला पर जपना अधिक उत्तम होता है।
– धन प्राप्ति के लिये लाल आसन उत्तम माना जाता है ।
– ध्यान रहे कि पूजा करते समय या मंत्र उच्चारण के समय हाथ कभी भी खाली ना रहे । हाथ मे फूल या चावल अवश्य रखें ।
– घी का दीपक भगवान की मूर्ति के दाई ओर एवं तेल का दीपक बाई ओर रखे। धूप जल पात्र बाई ओर ही स्थापित करें।
– रक्षा सूत्र (मौली) बांधते समय हाथ मे पैसा एवं अक्षत ले खाली हाथ रक्षा सूत्र ना बांधे ।
– यदि पूजा करते समय कोइ भी चीज़ कम पड़ जाये तो आप उसकी जगह साबुत लाल चावल चढ़ा सकते है ।
– पूजा प्रारम्भ करने से पहले जलपत्र एवं कलश मे गंगा जल मिला लें ।
– ताम्बूल बनाने के लिये पान के पत्ते को उल्टा करके उस पर लौंग इलायची सुपारी एवं कुछ मीठा रखें ।
– दुर्वा में तीनपत्ती होनी चहिये ।
– गणपति पर तुलसी दल ना चढ़ायें ।
– जमीन पर गिरा हुआ ,बासी ,कीड़ा खाया हुआ फूल न चढ़ायें ।
– टूटी फूटी मुर्तियों को नदी मे, मंदिर में या पीपल के नीचे विसर्जित करे ।
– लक्ष्मी प्राप्ति के लिये लक्ष्मी मंत्र कमलगट्टे की माला पर जपना अधिक उत्तम होता है।
– धन प्राप्ति के लिये लाल आसन उत्तम माना जाता है ।
– ध्यान रहे कि पूजा करते समय या मंत्र उच्चारण के समय हाथ कभी भी खाली ना रहे । हाथ मे फूल या चावल अवश्य रखें ।
– घी का दीपक भगवान की मूर्ति के दाई ओर एवं तेल का दीपक बाई ओर रखे। धूप जल पात्र बाई ओर ही स्थापित करें।
– रक्षा सूत्र (मौली) बांधते समय हाथ मे पैसा एवं अक्षत ले खाली हाथ रक्षा सूत्र ना बांधे ।
– यदि पूजा करते समय कोइ भी चीज़ कम पड़ जाये तो आप उसकी जगह साबुत लाल चावल चढ़ा सकते है ।
– दीपावली पूजन के पश्चात सभी सामग्री देवि एवं देवताओ की स्थापना को सारी रात यथा स्थान रहने दे। विसर्जन अगले दिन करे । ध्यान रहे कि गणेश लक्ष्मी जी की मूर्ति को विसर्जन नहीं करना है, एक वर्ष रखना होता है अगले वर्ष नई मूर्तियो के पूजन के बाद ही पुराने वर्ष की मूर्ति को विसर्जन करना चहिये ।
– चढ़ाई हुई दक्षिणा किसी ब्राह्मण को दे या मंदिर में दान करें ।
– चढ़ाई हुई दक्षिणा किसी ब्राह्मण को दे या मंदिर में दान करें ।
पूजन विधि (Deepavali Pujan Vidhi) सर्वप्रथम गणेश और लक्ष्मी का पूजन करें। दीपक पूजन:(Deepak Pujan) – दीपक जीवन से अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर जीवन में ज्ञान के प्रकाश का प्रतीक है। दीपावली के दिन पारिवारिक परंपराओं के अनुसार तिल के तेल के सात, ग्यारह, इक्कीस अथवा इनसे अधिक दीपक प्रज्वलित करके एक थाली में रखकर कर पूजन करने का विधान है।
दीपावली पूजन का अर्थ – लक्ष्मी जी की पूजा के साथ इसमें कलश, नवग्रह, षोडशमातृका, श्री गणेश, महालक्ष्मी, महासरस्वती और श्री कुबेर की पूजा की जाती हैं ।
दीपावली पूजन का अर्थ – लक्ष्मी जी की पूजा के साथ इसमें कलश, नवग्रह, षोडशमातृका, श्री गणेश, महालक्ष्मी, महासरस्वती और श्री कुबेर की पूजा की जाती हैं ।
उपरोक्त पूजन के पश्चात घर की महिलाएं अपने हाथ से सोने-चांदी के आभूषण इत्यादि सुहाग की संपूर्ण सामग्रियां लेकर मां लक्ष्मी को अर्पित कर दें। अगले दिन स्नान इत्यादि के पश्चात विधि-विधान से पूजन के बाद आभूषण एवं सुहाग की सामग्री को मां लक्ष्मी का प्रसाद समझकर स्वयं प्रयोग करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है।
अब श्रीसूक्त, कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें। पूजा के दौरान हुई किसी ज्ञात-अज्ञात भूल के लिए श्रीलक्ष्मी से क्षमा-प्रार्थना करें। न मैं आह्वान करना जानता हूँ, न विसर्जन करना। पूजा-कर्म भी मैं नहीं जानता। हे परमेश्वरि! मुझे क्षमा करो। मन्त्र, क्रिया और भक्ति से रहित जो कुछ पूजा मैंने की है, हे देवि! वह मेरी पूजा सम्पूर्ण हो।
यथा-सम्भव प्राप्त उपचार-वस्तुओं से मैंने जो यह पूजन किया है, उससे भगवती श्रीलक्ष्मी प्रसन्न हों।
यथा-सम्भव प्राप्त उपचार-वस्तुओं से मैंने जो यह पूजन किया है, उससे भगवती श्रीलक्ष्मी प्रसन्न हों।
दीपावली पूजन सामग्री (Deepawali Pujan Materials):-
लक्ष्मी एवं गणेश जी की मूर्ति – मिट्टी या धातु की (Statue of Ganesh and Laxmi – made up with any material or earthern ), रोली 10 ग्राम (Roli 10 gm), मौली 2 गोला (Mauli 2 pieces), लौंग 10 ग्राम (Clove 10 gm),इलायची 10 ग्राम (Cardamon 10 gm), साबुत सुपारी 11 पीस (Areca nut(Supari) 11 pieces), इत्र 1 शीशी (Scent 1 small bottle ), देशी घी 250 ग्राम (Ghee 250 gm), आम के पत्ते (एक पल्लो) (Mango Leaves (in a bunch), खील 250 ग्राम (Kheel (made up from paddy) 250 gm), बताशा 250 ग्राम (Bataasha (type of sweet made from sugar in different shape) 250 gm ), सिंदूर 10 ग्राम (श्री हनुमान जी वाला ) (Vermillion (sindoor) 10 gm (orange colour), लाल सिंदूर की डिब्बी-1 (Red vermillion(Lal sindoor) – 1 small box), कपूर 10 ग्राम (Camphor (kapur) 10 gm ), रुई की बत्ती (Cotton lint( cotton batti), माचिस (Matchstick – 1), कमल गट्टा 10 ग्राम(Kamal Gatta 10 gm), साबुत धनिया (Coriander whole – 5gm), तोरण (Festoon of ashok leaves (ashok leaves toran), साबुत चावल 1 किलो (Whole rice 1 kg), पंच पात्र या 1 गिलास (plate or glass- 1),आचमनी या एक चम्मच (spoon -1),अर्धा या जलपात्र कलश ढ़क्कन सहित (Finial with cover( earthen pot with coverlid) – 1), दीप पात्र (utensil for lamp -1), धूप पात्र (utensil for dhoop -1), एक पानी वाला नारियल(Coconut( with water) – 1), लाल कपड़ा 2.5 मीटर (चौकी पर बिछाने के लिये एवं नारियल पर लपेटने के लिये) (Red Cloth 2 (2.5 meter each) (one for small stool and one to cover coconut), केसर 2 ग्राम (Saffron (Kesar) 2 gm ),
लक्ष्मी एवं गणेश जी की मूर्ति – मिट्टी या धातु की (Statue of Ganesh and Laxmi – made up with any material or earthern ), रोली 10 ग्राम (Roli 10 gm), मौली 2 गोला (Mauli 2 pieces), लौंग 10 ग्राम (Clove 10 gm),इलायची 10 ग्राम (Cardamon 10 gm), साबुत सुपारी 11 पीस (Areca nut(Supari) 11 pieces), इत्र 1 शीशी (Scent 1 small bottle ), देशी घी 250 ग्राम (Ghee 250 gm), आम के पत्ते (एक पल्लो) (Mango Leaves (in a bunch), खील 250 ग्राम (Kheel (made up from paddy) 250 gm), बताशा 250 ग्राम (Bataasha (type of sweet made from sugar in different shape) 250 gm ), सिंदूर 10 ग्राम (श्री हनुमान जी वाला ) (Vermillion (sindoor) 10 gm (orange colour), लाल सिंदूर की डिब्बी-1 (Red vermillion(Lal sindoor) – 1 small box), कपूर 10 ग्राम (Camphor (kapur) 10 gm ), रुई की बत्ती (Cotton lint( cotton batti), माचिस (Matchstick – 1), कमल गट्टा 10 ग्राम(Kamal Gatta 10 gm), साबुत धनिया (Coriander whole – 5gm), तोरण (Festoon of ashok leaves (ashok leaves toran), साबुत चावल 1 किलो (Whole rice 1 kg), पंच पात्र या 1 गिलास (plate or glass- 1),आचमनी या एक चम्मच (spoon -1),अर्धा या जलपात्र कलश ढ़क्कन सहित (Finial with cover( earthen pot with coverlid) – 1), दीप पात्र (utensil for lamp -1), धूप पात्र (utensil for dhoop -1), एक पानी वाला नारियल(Coconut( with water) – 1), लाल कपड़ा 2.5 मीटर (चौकी पर बिछाने के लिये एवं नारियल पर लपेटने के लिये) (Red Cloth 2 (2.5 meter each) (one for small stool and one to cover coconut), केसर 2 ग्राम (Saffron (Kesar) 2 gm ),
कुशासन या लाल कम्बल -आसन के लिये (Mat made up with grass/kush or red blanket – for sitting), सफेद कपड़ा (White cloth – 2 (2.5 meter each), सफेद चंदन (White Sandalwood – 1 packet), लाल चंदन (Red Sandalwood- 1 packet), मिट्टी के 5, 11, 21 या अधिक छोटे दीपक (Small earthen lamp – 5 ,11,21 or more), मिट्टी का एक बडा दीपक (Big earthen lamp – 1), पान के 11 पत्ते डंडी सहित (Betel leaves with stem – 11), फल (ऋतु फल) (Seasonal Fruits), पंचमेवा (panchmeva( mix of cashew,raisins,date palm,coconut and peanuts)- 10 gm), दूब या दुर्बा (Grass), फूल (Flower), फूल माला (Garland), गणेश जी के लिये ळड्डू (Laddu for God Ganesh),खुले पैसे (Change rupees), मिठाई (sweets), सरसों का तेल ( Mustard oil), साबुत हल्दी 20 ग्राम (Whole turmeric 20 gm), कुमकुम या गुलाल 10 ग्राम (Gulaal 10gm), कलम (Ink Pen), स्याही की दवात (Ink bottle ), बही खाता (Leedger Account book), तिज़ोरी या गुल्लक (Safe),• एक थाली आरती के लिये (Plate – for aarati), कटोरी दूध दही पंचामृत के लिये (Bowl (for milk, curd, panchamrit) – 5), पंचामृत – दूध,दही, शहद,घी ,शक्कर (चीनी) मिलाकर बनाये (Panchamrit – (mixture of milk, curd, honeey, ghee & sugar), धूप का एक पैकेट (Dhoop – 1pkt), पिसी हल्दी (Turmeric powder), कमल का फूल (Lotus flower), आभूषण वस्त्र (Jwellery, clothes), गंगाजल (Holy water (Ganga Jal), घंटी (Bell), गुड़ 100 ग्राम (Molasses 100 gm ), चांदी का सिक्का (Silver coin), 2 थाली या चौकी (Plate or stool – 2 (थाली या चौकी-२)
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त 2017 :-
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त = 19:11 to 20:16
अवधि = 1 घण्टा 5 मिनट (1 Hour 5 Mins)
प्रदोष काल = 17:43 to 20:16
वृषभ काल = 19:11 to 21:06
अमावस्या तिथि प्रारम्भ = 19-अक्टूबर-2017 को 00.13 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त = 20-अक्टूबर-2017 को 00:41 बजे
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त = 19:11 to 20:16
अवधि = 1 घण्टा 5 मिनट (1 Hour 5 Mins)
प्रदोष काल = 17:43 to 20:16
वृषभ काल = 19:11 to 21:06
अमावस्या तिथि प्रारम्भ = 19-अक्टूबर-2017 को 00.13 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त = 20-अक्टूबर-2017 को 00:41 बजे
आरती – (Diwali First Aarti) (Ganesh ji ki Aarti) –
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
एक दंत दयावंत चार भुजाधारी ।
माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी ।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा ।
लड्डुवन का भोग लगे, संत करे सेवा ।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
अंधन को आंख देत, कोढ़ियन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
एक दंत दयावंत चार भुजाधारी ।
माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी ।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा ।
लड्डुवन का भोग लगे, संत करे सेवा ।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
अंधन को आंख देत, कोढ़ियन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ।।
सुर श्याम शरण आये सफल कीजे सेवा ।। जय गणेश देवा
जय गणेश जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।। आरती: (Diwali Second Aarti) (Lakshmi ji ki Aarti) –
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम जग की माता
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
दुर्गारूप निरंजन, सुख संपत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता
कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्गुण आता
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
शुभ गुण मंदिर, सुंदर क्षीरनिधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आंनद समाता, पाप उतर जाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
स्थिर चर जगत बचावै, कर्म प्रेर ल्याता
तेरा भगत मैया जी की शुभ दृष्टि पाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता,
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
जय गणेश जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।। आरती: (Diwali Second Aarti) (Lakshmi ji ki Aarti) –
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम जग की माता
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
दुर्गारूप निरंजन, सुख संपत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता
कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्गुण आता
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
शुभ गुण मंदिर, सुंदर क्षीरनिधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आंनद समाता, पाप उतर जाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
स्थिर चर जगत बचावै, कर्म प्रेर ल्याता
तेरा भगत मैया जी की शुभ दृष्टि पाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता,
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….