सुप्रीम कोर्ट पहुंचा कमलनाथ सरकार का मामला
इधर खबर है कि सुप्रीम कोर्ट ने शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर बुधवार को सुनवाई का समय दिया है। क्योंकि कांग्रेस की तरफ से कोई पक्षकार नहीं होने के कारण उन्हें भी बुलाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए नोटिस जारी कर कमलनाथ, विधानसभा अध्यक्ष को नोटिस जारी किया है।
सुनवाई के दौरान जजों ने कहा कि वे दूसरे पक्ष की भी बात सुनना चाहते हैं। अब कोर्ट ने सभी पक्षकारों, मुख्यमंत्री और स्पीकर को भी नोटिस जारी किया है। सबको कल अपना पक्ष रखना है। गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी की तरफ से फ्लोर टेस्ट की मांग की गई थी। भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान ने सुप्रीम कोर्ट में इसके लिए याचिका दायर की थी। भाजपा ने उम्मीद जताई थी कि कर्नाटक की कहानी मध्यप्रदेश में दोहराई जा रही है।
इससे पहले मध्यप्रदेश में सोमवार को भी सियासी उथल-पुथल का दौर रहा। सुबह विधानसभा की कार्यवाही राज्यपाल के अभिभाषण से हुई थी और एक मिनट के ही भाषण के बाद राज्यपाल वहां से चले गए। इसके बाद स्पीकर ने 26 मार्च तक कोरोना वायरस के चलते विधानसभा स्थगित कर दी। इसके बाद भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। साथ ही सभी 106 भाजपा विधायकों की राजभवन में परेड कराई गई। शाम होते-होते राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर 17 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराने को कहा, साथ ही यह भी कहा कि यदि कमलनाथ सरकार फ्लोर टेस्ट नहीं कराती है तो माना जाएगा कि वो अल्पमत में आ गई है। इसके बाद शाम को कमलनाथ ने राज्यपाल से मुलाकात भी की थी। गौरतलब है कि इस मुद्दे पर राज्यपाल की विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ ठन गई है। दोनों में ही पत्राचार के जरिए शीतयुद्ध शुरू हो गया है।