उम्मीद नहीं थी नर्मदा परिक्रमा के लिए तैयार होंगी अमृता
दिग्विजय सिंह ने अपनी नर्मदा यात्रा की जानकारी साझा करते हुए बताया कि मैं जो चाह लेता हूं उसे पूरा जरूर करता हूं। मैं मां नर्मदा की परिक्रमा करना चाहता था। मैं नर्मदा परिक्रमा की बात अपनी पत्नी अमृता से शेयर करते हुए कहा- क्या तुम चलोगी। अमृता ने हां कर दिया। दिग्विजय ने कहा मुझे उम्मीद नहीं थी अमृता नर्मदा परिक्रमा के लिए हां करेंगी।
विपक्षी नेताओं में सबसे ज्यादा पसंद थे अटल
दिग्विजय सिंह ने कहा कि विपक्ष के नेताओं के तौर पर अगर कोई नेता मुझे सबसे ज्यादा पसंद था तो वो अटल बिहारी वाजपेयी जी हैं। वो अक अलग तरह की राजनीति करते थे। वहीं, दिग्विजय ने अपने राजनीति में आने का भी खुलासा किया। बोले मैं राजनीति में नहीं आना चाहता था। पर राघौगढ़ से सियासत में आने का किस्सा शुरू हो गया।
कैसे पड़ा दिग्गी राजा नाम?
दिग्विजय सिंह ने अपने दिग्गी राजा नाम के पीछे की भी कहानी बताई। उन्होंने कहा- दिग्विजय सिंह ने बताया कि मैं और बालकवि बैरागी अर्जुन सिंह की कैबिनेट में मंत्री थे। उस समय विट्स वाले आरके कलांजे आए हुए थे। रात में खाने का प्रोग्राम था। मैं और बालकवि बैरागी जी वहां मौजूद थे इस दौरान आरकेजी ने कहा- तुम्हारा नाम बहुत लंबा है। कोई दूसरा नाम नहीं है। मैंने कहा- नहीं। उसके बाद उन्होंने खुद ही कहा आज से तुम्हारा नाम दिग्गी राजा है। तब से लोग मुझे दिग्गी राजा कहने लगे।
दिग्विजय सिंह ने अपने दिग्गी राजा नाम के पीछे की भी कहानी बताई। उन्होंने कहा- दिग्विजय सिंह ने बताया कि मैं और बालकवि बैरागी अर्जुन सिंह की कैबिनेट में मंत्री थे। उस समय विट्स वाले आरके कलांजे आए हुए थे। रात में खाने का प्रोग्राम था। मैं और बालकवि बैरागी जी वहां मौजूद थे इस दौरान आरकेजी ने कहा- तुम्हारा नाम बहुत लंबा है। कोई दूसरा नाम नहीं है। मैंने कहा- नहीं। उसके बाद उन्होंने खुद ही कहा आज से तुम्हारा नाम दिग्गी राजा है। तब से लोग मुझे दिग्गी राजा कहने लगे।
पैसा कमाने के लिए राजनीति में नहीं आना चाहिए
दिग्विजय सिंह ने युवाओं को नसीहत देते हुए कहा- युवाओं को पैसा कमाने के लिए राजनीति में नहीं आने चाहिए। युवाओं को पहले यह सोचना चाहिए कि उनकी विचार धारा से कौन सी पार्टी मेल खाती है। भारत का इतिहास क्या है। कार्ल मार्स को पढ़ो और लोहिया को पढ़ो जब लगे की आपकी विचारधारा इस पार्टी से मेल खाती है उसके बाद राजनीति में कदम रखें।
दिग्विजय सिंह ने युवाओं को नसीहत देते हुए कहा- युवाओं को पैसा कमाने के लिए राजनीति में नहीं आने चाहिए। युवाओं को पहले यह सोचना चाहिए कि उनकी विचार धारा से कौन सी पार्टी मेल खाती है। भारत का इतिहास क्या है। कार्ल मार्स को पढ़ो और लोहिया को पढ़ो जब लगे की आपकी विचारधारा इस पार्टी से मेल खाती है उसके बाद राजनीति में कदम रखें।