आपको बता दें कि, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरुस्कार दिए जाने के मामले में कांग्रेस नेता जयराम रमेश के बयान का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि, गीता प्रेस देश में सबसे पुरानी है। उस समय वो महात्मा गांधीजी के विचारों से सहमत नहीं थे, इसका उल्लेख जयराम रमेश द्वारा किया गया है। अब गांधी पीस प्राइज उस संस्था को दिया जाए, जिसने गांधीजी की विचारधारा का विरोध किया हो तो ये तो ज्यूरी पर निर्भर करता है। इसी बात पर पूर्व मंत्री और विधायक पासी शर्मा ने भी समर्थन करते हुए कहा कि, बीजेपी हमेशा गांधी जी का विरोध करने वालों का ही समर्थन करती है।
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विरोध में आई भाजपा
वहीं, इस मामले पर मध्य प्रदेश भाजपा भी हमलावर मोड में आ गई है। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कहा कि, कांग्रेस ने इस्लामीकरण और ईसाईकरण की राह पकड़ ली है। वहीं, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे भारतीय संस्कृति और परंपरा का विरोध बताया है। वहीं, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने कहा, ‘राष्ट्रद्रोही चरित्र को पहचानिए।’ गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने भी कांग्रेस पर जमकर हमला बोला है।
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क्या है गीता प्रेस विवाद ?
आपको बता दें कि, केंद्र सरकार ने वर्ष 2021 का गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस, गोरखपुर को देने की घोषणा की थी। केंद्र के इस फैसले पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोमवार को ट्वीट करते हुए लिखा कि, केंद्र सरकार का ये फैसला सावरकर और नाथूराम गोडसे को सम्मान देने के समान है। जय राम रमेश के इस बयान ने देशभर में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है।
जय राम रमेश ने क्या टिप्पणी की है ?
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने गीता प्रेस गोरखपुर को साल 2021 का गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने की आलोचना की है। उन्होंने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने की तुलना सावरकर और गोडसे को पुरस्कृत करने से की है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि, अक्षय मुकुल ने इस संगठन पर एक बहुत ही अच्छी जीवनी लिखी है, जिसमें महात्मा गांधी के साथ इसके संबंधों और राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक मोर्चों पर चल रही लड़ाइयों का पता चलता है। जय राम रमेश की इस टिप्पणी के बाद से ही देशभर में भारतीय जनता पार्टी की ओर से पलटवार शुरु हो गए हैं।
उमा भारती बोलीं- गीता प्रेस के लिए ईसाई-मुसलमानों में भी सम्मान
मामले पर पूर्व सीएम उमा भारती ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, ‘गीता प्रेस का भारतीय संस्कृति, हिंदुत्व और अध्यात्म में हमेशा अद्वितीय योगदान रहा है। हिंदू समाज के सभी धर्मग्रंथ सरल, त्रुटिहीन और कम कीमत पर उपलब्ध कराए हैं। उनका किसी विवाद से कभी सरोकार नहीं रहा। उनके योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार भी कम पड़ेगा। उन्होंने आगे ये भी कहा कि, जयराम रमेश जैसे स्तर के लोगों को शायद यही पता न हो कि, गीता प्रेस में छपता क्या है ? लगता है, कांग्रेस ने इस्लामीकरण एवं ईसाईकरण की राह पकड़ ली है। बिना ये जाने कि, ईसाई और मुसलमान जैसे समुदाय भी गीता प्रेस (गोरखपुर) का सम्मान करते हैं। सोनिया गांधी अपने नेताओं को लेकर सावधान न रहीं तो कांग्रेस को वोट के बदले सिर्फ घृणा और तिरस्कार ही मिलेगा।’
सीएम शिवराज ने कहा- विरोध करने वालों को जनता माफ नहीं करेगी
वहीं, इस मामले पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, ‘गीता प्रेस को मिल रहे सम्मान का विरोध करने वालों को देश की जनता कभी माफ नहीं करेगी। मैंने भी धार्मिक साहित्य का अध्ययन गीता प्रेस से प्रकाशित पुस्तकों को पढ़कर ही किया है। गीता प्रेस से प्रकाशित गीता और अन्य धार्मिक पुस्तकों ने देश में अध्यात्म को बढ़ाया है। कांग्रेस का गीता प्रेस को सम्मान देने का विरोध देश की जनता बर्दाश्त नहीं करेगी। ये भारत की संस्कृति, परंपरा और अध्यात्म का विरोध करने के समान है।’
गृहमंत्री बोले- इटालियन कल्चर के लोग ये नहीं समझ सकते
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि, ‘जयराम रमेश जी, कांग्रेस पूर्वाग्रह से ग्रसित है। गीता प्रेस जब से रामायण, गीता छाप रही है, तब भाजपा भी नहीं बनी थी। विकृत मानसिकता के लोग कभी-कभी कुछ भी बोल जाते हैं। प्रमोद कृष्णन ने ठीक कहा कि, पिछले कुछ वर्षों में इटालियन कल्चर का कांग्रेस के अंदर प्रवेश हुआ है। इटालियन कल्चर वाले समझ नहीं सकते कि, गीता प्रेस की सनातन के लिए कितनी आवश्यकता है, कितनी महत्ता है। उनकी छापी गीता और रामायण हिंदुस्तान के हर घर के मंदिर में रखी है। बस यही आपत्ति है, यही तुष्टिकरण की राजनीति है।’
उषा ठाकुर बोलीं- विश्व का सबसे बड़ा सम्मान मिलना चाहिए
भोपाल के मानस भवन में जगन्नाथ यात्रा में शामिल होने पहुंचीं पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर ने कहा, ‘मेरी तो पूरे देश से प्रार्थना है कि, इनके राष्ट्रद्रोही चरित्र को पहचानें। ये सावरकर की पट्टिका उखाड़ने को कटिबद्ध हो जाते हैं। अगर गीता प्रेस नहीं होती तो मेरे हिसाब से सनातन का सारा साहित्य ही हम तक न पहुंच पाता। जिस भाव से गीता प्रेस सेवा करता है, उनहें देश का नहीं, बल्कि विश्व का सबसे बड़ा सम्मान मिलना चाहिए।’