ये भी पढें- 90 की स्पीड से दौड़ी इंदौर मेट्रो, 970 पैसेंजर करेंगे तीन कोच में सफर बता दें कि सरकार ने ये बात साफ कर दिया है कि भारतीय कानून में कही पर भी डिजीटल अरेस्ट(Digital Arrest) का कोई प्रावधान नहीं दिया गया है। साथ ही किसी को भी वीडियो या माइक्रोफोन ज्यादा देर तक चालू रखने के लिए दवाब नहीं बनाया जा सकता है।
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क्या है डिजिटल अरेस्ट ?
डिजिटल अरेस्ट(Digital Arrest) ऑनलाइन ठगी का एक नया तरीका है। डिजिटल अरेस्ट के दौरान ठग अपने शिकार के मन में डर पैदा कर देते है और उन्हें यकीन दिला देते है कि, जो भी उन्हें बताया जा रहा है वही सच है। उनके या उनके किसी परिजन के साथ बुरा हो चुका है या होने वाला है या वह पुलिस, सीबीआई या ईडी की जांच के घेरे में फंस चुके है। इसके बाद ठगों का शिकार डरकर मान लेता है कि अगर कॉलर का कहना नहीं माना तो वह गिरफ्तार हो जाएगा या फिर उसके साथ बहुत कुछ बुरा होगा।ठग ऐसे करते है डिजिटल अरेस्ट
– डिजिटल अरेस्ट(Digital Arrest) के मामले में शिकार के पास फोन कॉल आता है, जिसमे उनके या फिर उनके किसी परिजन का अवैधानिक कामों( ड्रग, मनी लॉन्ड्रिंग, महिला उत्पीड़न, सेक्स रैकेट, आतंकवादी गतिविधियां आदि) में फंसे होने की बात कहकर गिरफ्तार करने की धमकी दी जाती है।– डिजिटल अरेस्ट का शिकार हुए लोगों को नकली ऑफिसर आईडी, पुलिस स्टेशन या फिर सीबीआई ऑफिस का माहौल दिखाकर यकीन दिला दिया जाता है कि ये पूरी कार्रवाई असली है।
– ठग डिजिटल अरेस्ट(Digital Arrest) के दौरान अपने शिकार को पूरे समय उनका फोन कैमरा और माइक्रोफोन चालू रखने के लिए कहा जाता है ताकि वह उन्हें गिरफ़्तारी की धमकी दे देकर उनके मन में डर पैदा करते रहे।
– झूठी जांच के दौरान शिकार से पैसे लूटे जाते हैं।