एक्स अकाउंट पर पोस्ट करते हुए बागेश्वर धाम प्रमुख पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने परिवार और मां-पिता की महत्ता बताई। उन्होंने कहा कि- पहला प्यार भुलाया नहीं जाता…फिर मां-पिता को लोग क्यों भूल जाते हैं!
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सिडनी से पोस्ट की हरेक लाइन में बागेश्वर धाम सरकार पंडित धीरेंद्र शास्त्री का इमोश्नल टच है। पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा-
‘ रामचंद्र भगवान की जय, बागेश्वर धाम की जय। अभी हम ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में हैं। कथा का क्रम चल रहा है और आज की चर्चा हम शुरू करेंगे—
गम बहुत है खुलासा मत होने देना,
मुस्कुरा देना पर तमाशा मत होने देना।’
सिडनी से पोस्ट की हरेक लाइन में बागेश्वर धाम सरकार पंडित धीरेंद्र शास्त्री का इमोश्नल टच है। पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा-
‘ रामचंद्र भगवान की जय, बागेश्वर धाम की जय। अभी हम ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में हैं। कथा का क्रम चल रहा है और आज की चर्चा हम शुरू करेंगे—
गम बहुत है खुलासा मत होने देना,
मुस्कुरा देना पर तमाशा मत होने देना।’
सात वार होते हैं, रविवार से सोमवार लेकिन एक आठवां वार होता है परिवार। परिवार में पोषण होता है, शोषण नहीं होता। परिवार में भय नहीं भाव होता है। परिवार में अनादर नहीं, आदर होता है। परिवार वही है जिसमें सबका मत एक हो। और याद रखना कि अनेक मत भले ही हों पर दूसरों को समझना जरूर, जो हमने शुरुआत में कहा है-
‘गम बहुत है खुलासा मत होने देना,
मुस्कुरा देना पर तमाशा मत होने देना।’
‘गम बहुत है खुलासा मत होने देना,
मुस्कुरा देना पर तमाशा मत होने देना।’
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मेरे पगलों, हम ये बात इसलिए कह रहे हैं कि तुमने तमाशा बनाया तो दुनिया तमाशा देखेगी और तमाशे के लिए तुम तैयार रहना। फिर तुम संभाल नहीं पाओगे और बात बहुत आगे निकल जाएगी। क्योंकि हमने विदेश धरती पर आकर देखा कि यहां मकान तो बहुत हैं पर रहने वाले लोग बहुत कम हैं। यहां कोई महान नहीं, इंसान नहीं हैं। यहां व्यक्ति तो हैं पर व्यक्तित्व खत्म हो गया है। यहां हिंदुस्तानी हैं पर भारत गायब होता जा रहा है। यहां आए हुए लोग संस्कृति के देश से हैं, पर यहां इनकी संस्कृति गायब हो रही है।’
मेरे पगलों, हम ये बात इसलिए कह रहे हैं कि तुमने तमाशा बनाया तो दुनिया तमाशा देखेगी और तमाशे के लिए तुम तैयार रहना। फिर तुम संभाल नहीं पाओगे और बात बहुत आगे निकल जाएगी। क्योंकि हमने विदेश धरती पर आकर देखा कि यहां मकान तो बहुत हैं पर रहने वाले लोग बहुत कम हैं। यहां कोई महान नहीं, इंसान नहीं हैं। यहां व्यक्ति तो हैं पर व्यक्तित्व खत्म हो गया है। यहां हिंदुस्तानी हैं पर भारत गायब होता जा रहा है। यहां आए हुए लोग संस्कृति के देश से हैं, पर यहां इनकी संस्कृति गायब हो रही है।’
पहला प्यार भुलाया नहीं जाता…
अंत में पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने बेहद भावुक संदेश दिया। उन्होंने कहा,‘लोग कहते हैं कि पहला प्यार भुलाया नहीं जाता पर पता नहीं यहां लोग मां-बाप को कैसे भूल जाते हैं। वो भी तो पहला प्यार है। इसलिए आज से ये बात याद रखना, सात वार (सात दिन) के ऊपर एक आठवां वार भी है, परिवार। इसलिए उसको मत भूलना, अपने गमों को भुला देना और तमाशा बनाने की जगह मुस्कुरा देना।’