एमपी के आदिवासी बहुल धार जिले में जांच में तीन प्रतिशत लोगों को सिकल सेल बीमारी का वाहक पाया गया है। जिले में अब तक स्क्रीनिंग में सिकल सेल के 813 मरीज भी मिले हैं।
यह भी पढ़ें : बड़ी खबर: एमपी में कांग्रेस के आरोप के बाद गरमाई सियासत, मंत्री विश्वास सारंग से मांगा इस्तीफा सिकल सेल एनीमिया अनुवांशिक बीमारी है। एमपी में राज्यपाल कार्यालय से इस बीमारी पर निगरानी रखी जा रही है। इसी वजह से स्क्रीनिंग भी की जा रही है। राज्यपाल मंगू भाई पटेल के विशेष निर्देश पर आदिवासी बहुल धार जिले में इसकी स्क्रीनिंग की जा रही है।
धार जिले में अब तक कुल 2,64, 846 लोगों की जांच की गई। इनमें 8624 लोगों को इस अनुवांशिक बीमारी का वाहक पाया गया है। वहीं स्क्रीनिंग में अब तक 813 मरीज भी सामने आ चुके हैं। इतनी बड़ी संख्या में मिले मरीज बीमारी को फैला सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक विवाह के पहले जांच कराने से बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है।
धार जिले की कुल आबादी 30 लाख में से 21 लाख लाेगों की स्क्रीनिंग की जानी है। अभी तक केवल 12 प्रतिशत स्क्रीनिंग ही हो सकी है। धार के तीन ब्लाक- बाग में सबसे ज्यादा 6 प्रतिशत मरीज मिले जबकि कुक्षी में 5 प्रतिशत मरीज और डही में 2.5 प्रतिशत मरीज मिले हैं।
क्या है सिकल सेल
सिकल सेल बहुत खौफनाक बीमारी है जिसमें शरीर में खून की कमी हो जाती है। 15 नवंबर 2021 को पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्तर सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन के पहले चरण का शुभारंभ किया था। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1912 में सिकल सेल को घातक अनुवांशिक रोग घोषित कर दिया था।
दरअसल सिकलसेल में शरीर का खून सूख जाता है। यह लाइलाज रोग है जिसमें पीड़ित को हर दो माह में नया खून चढ़ाना पड़ता है। डॉक्टर बताते हैं यह इतना भीषण रोग है कि इससे पीड़ित मरीज के शरीर में मलेरिया का वायरस भी छटपटाकर दम तोड़ देता है। सिकलसेल से पीड़ित मरीज को भयंकर दर्द होता है। एमपी में आदिवासियों को यह रोग खासतौर पर होता है और इसे आनुवांशिक रोग कहा जाता है। अब इसकी रोकथाम के लिए अभियान चलाया जा रहा है।