भोपाल। झांसी की रानी (Jhansi ki Rani) ने अपना राज्य बचाने के लिए प्राण न्योछावर कर दिए। उनकी शहादत के बाद उनके दत्तक पुत्र दमोदर राव जंगल में छिपते रहे। फिर 1860 में इंदौर जाकर बस गए। इसके बाद पांच पीढ़ियां वहीं रहीं। झांसी हमारी यादों में तो बसा है, लेकिन वहां ऐसा कुछ नहीं है जिसे हम अपना कह सकें। हम तो वहां के किले में भी आम नागरिक की तरह ही टिकट लेकर जाते हैं। अंग्रेजों ने तो हमें हक नहीं दिया, आजादी के बाद भी सरकारों से मांग करते रहे, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। तीन पीढ़ियों ने अपनी विरासत के लिए संघर्ष किया, इसके बाद हमने तो उम्मीद ही छोड़ दी।
यह कहना है कि झांसी की रानी के पांचवीं पीढ़ी के वंशज अरुण कृष्ण राव झांसी वाले (arun krishna rao jhansi wale) का। वे अंतरराष्ट्रीय बुंदेली समागम समारोह (international bundeli samagam) में शामिल होने अपने बेटे योगेश के साथ आए थे। इस आयोजन में रानी झांसी के इन वंशजों का सम्मान किया गया।
अरुण ने बताया कि मैं बिजली कंपनी के असिस्टेंट इंजीनियर के पद से रिटायर हुआ है। बेटा योगेश नागपुर में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। 2011 के बाद पहले पूणे, फिर नागपुर में रहने लगे। राजनीति से दूर रहने के सवाल पर उन्होंने कहा कि परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट था, तो कभी राजनीति में आने का सोचा ही नहीं। इस पर योगेश कहते हैं यदि कभी आगे मौका मिला तो राजनीति में आकर सेवा करना चाहूंगा। राजकीय परंपराओं को लेकर अरुण ने कहा कि परिवार की धार्मिक परंपराओं का निर्वाह तो करते हैं, लेकिन अब राजघराना ही नहीं रहा तो राजकीय परंपराओं का निर्वाह करने जैसी बातें बेमानी हैं।
एक-दो साल में जाते हैं झांसी
योगेश ने बताया कि झांसी में हमारा घर, चल-अचल संपत्ति नहीं है। तीन पीढि़यों तक सरकार से पेंशन मिलती थी, फिर वह भी बंद कर दी गई। किसी कार्यक्रम में आमंत्रित किया जाता है तो हम वहां जाते हैं। या एक-दो साल में खुद ही वहां जाते रहे हैं। 2018 में रानी लक्ष्मीबाई के विवाह की 175वीं वर्षगांठ पर आमंत्रण आया था, इसके बाद पिछले साल एक कार्यक्रम में वहां गए थे। उन्होंने कहा कि झांसी का पर्याप्त विकास नहीं हो पाया है। अब भी वहां अच्छी इंडस्ट्री की दरकार है, इससे रोजगार के नए मौके मिलेंगे।
रानी ने महिला सशक्तिकरण की अलख जगाई
योगेश ने बताया कि रानी लक्ष्मीबाई ने महिला सशक्तिकरण के काफी काम किए। उन्हें भारत रत्न दिया जाना चाहिए। मैं जानता हूं कि उनकी शहादत को लंबा समय हो चुका है, लेकिन सरकार को नियम बदलकर ऐसा करना चाहिए।