डॉ. लक्ष्मी के अनुसार योग व नेचुरोपैथी में जल, मिट्टी, वायु आदि पंचतत्वों से इलाज किया जाता है। मनुष्य का शरीर भी इन्हीं पंचतत्वों से बना है और उनमें विकार आने पर प्राकृतिक चिकित्सा विज्ञान के तहत इन्हीं पांच तत्वों से उपचार कर ठीक किया जाता है।
बुखार जैसे विकार तो पट्टी आदि रखने से ही ठीक हो जाते हैं। ऐसा तो कई बार हुआ है कि ड्यूटी के दौरान किसी पुलिसकर्मी को बुखार आया और वह यह पूछने आया कि क्या करें। पेडू और माथे पर गीली पट्टी या गीली मिट्टी रखने से ही बुखार जल्दी उतर गया। यह कई बार आजमाया हुआ प्रयोग है। इस तरह सूखी पट्टी, गरम पट्टी के भी उपयोग हैं।
नेचुरोपैथी में सारी बीमारियों की जड़ आपका पेट है। यदि आपका खान-पान ठीक है तो सबकुछ ठीक है। बैरागढ़ के नेचुरोपैथी सेंटर में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से बीमारियों का ट्रीटमेंट किया जाता है। डॉ. लक्ष्मी अभी तक कई नेशनल व इंटरनेशनल सेमिनार अटेंड कर चुकी हैं। उनका कहना है कि नेचुरोपैथी का ट्रीटमेंट लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
योग भी करना हो तो अपने डॉक्टर से पहले कंसल्ट करें। उदाहरण के लिए ऑपरेशन के बाद योग करने से पहले डॉक्टर से अवश्य सलाह लें। साइड इफेक्ट न होने के कारण लोगों को योग व नेचुरोपैथी की तरफ लौटना चाहिए। बच्चों को शुरू से ही योग व नेचुरोपैथी की तरफ ले जाएंगे तो अच्छे व सुखद परिणाम होंगे। प्रकृति ने हमें बहुत कुछ दिया है, बस समझने और अपनाने की जरूरत है। हर चिकित्सा पद्धति का महत्व है।