डेंगू का मच्छर गंदे पानी में नहीं बल्कि साफ पानी में पनपता है। अकसर पॉश कॉलोनियां जहांं गमले बहुतायत में रहते हैं, वहां यह मच्छर ज्यादा होता है। लेकिन इस बार ट्रेंड बदल गया है। डेंगू के मामले पुराने शहर से ज्यादा मिल रहे हैं। बागमुगलिया, लालघाटी, जुमेराती और मैदामिल इलाके में ज्यादा मरीज मिले हैं। शहर के करीब 11 वार्ड डेंगू का हॉटस्पाट बन रहे हैं। राजधानी के 35 फीसदी केस इन्हीं वार्डों में मिले हैं।
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पुराने शहर में ज्यादा केस मिलने के कारण कुछ दिक्कत भी सामने आ रही है. डेंगू मरीज मिलने पर घर के 400 मीटर तक चारों दिशाओं में छिड़काव जरूरी रहता है। अमले की कमी से घरों का सर्वे भी बहुत कम हुआ है। पॉजीटिव रिपोर्ट के बाद मरीज के घर पर छिड़काव करना है लेकिन अमला नहीं पहुंच रहा। लोगों की लापरवाही से यह बीमारी फैल रही है और जिम्मेदारी अधिकारी भी ध्यान नहीं दे रहे हैं.
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मलेरिया कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक अब तक 19०० सैंपल की जांच की जा चुकी है। इनमें 185 सेंपल पॉजिटिव मिले हैं। डेंगू के अब तक 130 मरीज अस्पतालों में भर्ती किए जा चुके हैं। वहीं 29 मरीज अभी भी शहर के अस्पतालों में भर्ती हैं। अच्छी बात यह है कि शहर में डेंगू से अभी तक एक भी मौत नहीं हुई हालांकि स्वास्थ्य विभाग के इस दावे पर सवाल उठ रहे हैं।
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10 फीसदी घरों में डेंगू का लार्वा मिल रहा है फिर भी कई जगहों पर लोग घरों में पानी जमा कर रहे। स्वास्थ्य सेवा विभाग के उप संचालक डॉ. हिमांशु जैसवार बताते हैं कि यह मौसम डेंगू के लिए सबसे उपयुक्त है। इस बार मार्च-अप्रैल से ही डेंगू लार्वा सर्वे चालू हो गया था। कॉलोनियों में लगातार सर्वे का काम किया जा रहा है। जहां लार्वा मिलता है वहां समझाइश के साथ जुर्माना भी किया जाता है।