मध्यप्रदेश में जूलाई में डेंगू के 505 केस मिले थे, जो अगस्त में बढ़कर 950 हो गए। वहीं, सितम्बर के पहले सप्ताह में प्रदेश में डेंगू से पीड़ित मरीजों की संख्या 600 के पार हो चुकी है।
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डेंगू प्रभावित क्षेंत्र
लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार इस साल सबसे ज्यादा डेंगू के केस प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर से मिले है। वहीं इंदौर के बाद ग्वालियर व रीवा शहर से सबसे ज्यादा मरीज अभी तक मिल चुके है। साल की शुरुआत से अब तक 2800 केस दर्ज किए गए है।एलाइजा जांच मान्य, रैपिड किट नहीं
निजी अस्पतालों में अधिकतर जांच रैपिड किट से की जा रही है। इससे पॉजिटिव आने वाले रोगियों को सरकार संक्रमितों में भी शामिल नहीं करती। इन्हें भी मिला लिया जाए तो प्रदेश में डेंगू मरीजों की संख्या सरकारी आंकड़ों से लगभग डेढ़ गुना हो सकती है। यह भी पढ़ें- घर वाले बाहर निकले और भरभराकर गिर गया दो मंजिला मकान, Live Video
क्या है केन्द्र के निर्देश
वहीं, केंद्र सरकार के दिशानिर्देश के अनुसार, रैपिड किट से होने वाली जांच में रोगी के संक्रमित पाए जाने के बाद भी उसे पीड़ित नहीं माना जाता। नगरीय निकाय और स्वास्थ्य विभाग भी उन्हीं पीड़ितों के घर के आसपास मच्छरों के रोकथाम करता है जो एलाइजा जांच में पॉजिटिव आते हैं, ना कि रैपिड किट से।डेंगू के लक्षण क्या हैं?
-खरोंच-आपकी आँखों के पीछे तीव्र दर्द होना
-मतली या उलटी
-मांसपेशियों , हड्डियों और जोड़ों में दर्द ।
डेंगू का प्रबंधन और उपचार
अपने लक्षणों को नियंत्रित करना ही डेंगू बुखार का इलाज करने का एकमात्र तरीका है। अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता की सिफारिशों का पालन करें, जिनमें शामिल हो सकते हैं। -पर्याप्त मात्रा में पानी और तरल पदार्थ पीकर अपने आप को हाइड्रेटेड रखें।
-जितना संभव हो उतना आराम करें।
-जितना संभव हो उतना आराम करें।