लेकिन वहीं दूसरी तरफ डेंगू के मरीजों की खोज स्वास्थ्य विभाग नहीं कर पा रहा है और निजी अस्पताल जिन मरीजों की सूची विभाग को देता है उन्हीं मरीजों की जानकारी खोजी जाती है और न ही मरीजों की जांच सही समय में की जाती हैं और न ही इलाज सही समय में उपलब्ध कराया जाता है।
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एंटीजन या रैपिड टेस्ट के बाद एलाइजा टेस्ट जरुरी
सभी शासकीय और निजी स्वास्थ्य संस्थानों को डेंगू के मरीजों की जानकारी देनी है, जिसमें लापरवाही बरती गई है। डेंगू के परीक्षण के लिए तीन तरह से जांच होती हैं। इसमें रैपिड के अलावा एंटीजन ब्लड और एलाइजा टेस्ट किया जाता है। केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार एंटीजन या रैपिड टेस्ट में पाजिटिव आने पर एलाइजा टेस्ट जरूरी है।निजी अस्पताल की किट जांच मान्य नहीं
निजी अस्पताल द्वारा मरीजों के किट जांच को स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में पॉजिटिव नहीं माना जाता है। सरकारी अस्पताल की जांच को स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े में शामिल किया जाता है लेकिन जब तक नमूना को जांच के लिए भेजा जाता है व जब तक रिपोर्ट आती है मरीज ठीक -ठाक होकर घर चला जाता है। निजी अस्पताल में एडमिट डेंगू के मरीज का सेम्पल जब वायरोलाजी लैब भेजा जाता है तो उसकी रिपोर्ट में क्या जानकारी आई यह सूचना निजी अस्पताल को नहीं भेजी जाती है। इस प्रकार सब कुछ मनमर्जी से चलता है। यह भी पढ़ें- अचानक बढ़े सब्जियों के दाम, आलू, प्याज, लहसुन समेत इन चीजों ने आसमान छुआ