प्रदेश में अभी जो 55 जिले हैं उनमें नवनिर्मित जिला पांढुर्णा भी शामिल है। छिंदवाड़ा को तोड़कर बनाया गया यह जिला बहुत छोटा है। पांढुर्णा में अब बैतूल जिले की मुलताई तहसील को शामिल करने की मांग लगातार जोर पकड़ रही है। परिसीमन आयोग के गठन के बाद तो मुलताई को पांढुर्णा में शामिल कर जिले का क्षेत्रफल बढ़ाने की आवाज और मुखर हो गई है।
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प्रदेश में जिलों और संभागों की सीमाओं के पुनर्निर्धारण के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के ऐलान के बाद बैतूल जिले को तोड़कर मुलताई तहसील को पांढुर्णा में मिलाकर जिले का विस्तार करने का मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण बन चुका है। माना जा रहा है कि इससे पांढुर्णा का भौगोलिक ढांचा बढ़ेगा वहीं मुलताई के लोगों का कहना है कि इससे हमारी दिक्कतें भी कम होंगी।
प्रदेश में जिलों और संभागों की सीमाओं के पुनर्निर्धारण के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के ऐलान के बाद बैतूल जिले को तोड़कर मुलताई तहसील को पांढुर्णा में मिलाकर जिले का विस्तार करने का मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण बन चुका है। माना जा रहा है कि इससे पांढुर्णा का भौगोलिक ढांचा बढ़ेगा वहीं मुलताई के लोगों का कहना है कि इससे हमारी दिक्कतें भी कम होंगी।
दरअसल मुलताई तहसील भले ही बैतूल जिले में है, लेकिन भौगोलिक, सामाजिक और व्यापारिक दृष्टि से यह पांढुर्णा के ज्यादा करीब है। मुलताई बैतूल जिला मुख्यालय से 59 किलोमीटर दूर स्थित है जबकि यहां से पांढुर्णा जिला मुख्यालय बहुत पास है, मात्र 40 किलोमीटर दूर है। मुलताई का पूरा कारोबार भी पांढुर्णा से जुड़ा है। भौगालिक निकटता और व्यापारिक-वाणिज्यिक संबंध जिले में बदलाव की बात को मजबूत करते हैं।
इधर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भी इस बात से सहमत हैं। सूत्रों के अनुसार परिसीमन आयोग भी मुलताई को बैतूल से हटाकर पांढुर्णा जिले में शामिल करने की अनुशंसा कर सकता है। छिंदवाड़ा जिले की भी एक और तहसील को पांढुर्णा में शामिल किए जाने की बात भी उठ रही है।