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भोपाल

DPS Bus Accident: स्वर्ग में भी गम का माहौल होगा आज, धरती से फरिश्तों की फौज जो निकली है

mp.patrika.com आपको बताने जा रहा है इंदौर के डीपीएस बस हादसे के बाद लोगों ने भी नम आंखों से अपना दुख व्यक्त किया है…।

भोपालJan 06, 2018 / 05:13 pm

Manish Gite

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भोपाल। स्वर्ग में भी आज गम का माहौल होगा, क्योंकि आज धरती से फरिश्तों की फौज जो निकली है। ऐसे ही न जाने कितने मर्मस्पर्शी संदेश देकर पूरा देश आज इंदौर के डीपीएस बस हादसे में मारे गए बच्चों को श्रद्धांजलि दे रहा है। लोग नन्हें फरिश्तों को अपने साथ रखने की प्रार्थना ईश्वर से कर रहा है, तो कोई बिन बुलाई मौत से खफा है। सोशल मीडिया पर आज हर कोई दुखी है।
मध्यप्रदेश के लिए शुक्रवार का दिन ब्लैक फ्राइडे साबित हुआ। इंदौर के दिल्ली पब्लिक स्कूल में पड़ने वाले बच्चे स्कूल से शाम को घर लौट रहे थे। उनकी बस का स्टेयरिंग अचानक फेल हो गया। वह डिवाइडर से टकराकर सड़क की दूसरी तरफ तेज गति से आ रहे ट्रक से टकरा गई। इस भीषण हादसे में 4 बच्चों की मौत घटनास्थल पर ही हो गई और 8 अब भी जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। इस घटना में ड्राइवर और क्लीनर की भी मौत हो गई।
इन मासूम नौनिहालों के साथ हुए इस हादसे के बाद मध्यप्रदेश ही नहीं अन्य प्रदेशों के लोग भी स्तब्ध हैं। सोशल मीडिया पर हर कोई मृत बच्चों को श्रद्धांजलि दे रहा है। इनकी श्रद्धांजलि में भी वो दर्द है, जिसे शब्दों में बया नहीं किया जा सकता। इस वक्त दुनिया महसूस कर रही है। हर किसी की आंखें नम हैं।
mp.patrika.com आपको बताने जा रहा है इंदौर के डीपीएस बस हादसे के बाद लोगों ने भी नम आंखों से अपना दुख व्यक्त किया है…।

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रुला देंगे ये संदेश

स्वर्ग में भी गम का माहौल होगा आज
धरती से फरिश्तों की फौज जो निकली है

मां ने कहा था
कपड़ों पर स्याही लगाकर मत आना
वरना डांट पड़ेगी…।
अब कपड़ों पर लग गया था खून तो घर कैसे आते…।

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कुछ दर्द आंसुओं से नहीं धुलते
भोपाल में रहने वाली साक्षी साकल्ले गार्गव ने फेसबुक पर लिखा है कि…

कुछ दर्द आसूंओं से नहीं धुलते, कुछ जख्म मरहम से नहीं भरते,
कभी निकल जाते हैं इतने दूर राहगीर, कि रास्ते उन तक नहीं पहुंचते!

हरेंद्र कुमार चांद्रायण लिखते हैं कि
गरीब ड्राइवर के परिवार के बारे में क्या सोचना है?
सोचा है कितनी कम तन्ख्वाह में भारी दबाब में
विषम मौसम में परिवार से दूर सेवा करता है
लगातार मौत के पथ पर अग्रसर रहता है
आगे बैठकर वो किसी पीछे वाले को कैसे मार सकता है।
“सिर्फ दुर्घटना “
अति दुखदायी
स्कूल मालिक ने पूरी फीस ली होगी
ट्रक के मालिक ने पूरा भाड़ा लिया होगा।
मेंटेनेन्स?
गल्ती एक ही पक्ष से हुई होगी नुकसान अतुलनीय। सुरक्षित ले जाने की जिम्मेदारी किसकी?
अपूरणीय क्षति के लिये दुखित मन मेरा।
बच्चों को अपनी शरण में रखना मां
सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी अरविंद उपरित भी उन लोगों में से हैं जो इस घटना से बेहद आहत हुए हैं, उन्होंने अपने फेसबुक वॉल पर यह दर्ज बयां किया…
मन आज अत्यन्त दुखी है। इन्दौर डी.पी.एस. बस हादसे मे दिवंगत मासूम बच्चों के लिए ये नया साल कैसा आया, दुर्घटनाग़स्त घायल बच्चे जीवनमृत्यु के बीच झूल रहे हैं, इस हादसे मे प़भावित अभिभावक अपने हृदय मे कितना वजनी पत्थर रखें, इक पर्वतताकारी शिला भी उनके दुख को दबा ना पाएगी, दुख उनके जीवनपर्यन्तदुख ये कैसा दुख। मां भगवती इन मासूमों की जननीयों को इस भीषण दुख को सहन करने की आप ही अपार शक्ति दें, मैय्याजी इन दिवंगत बच्चों को अपनी शरण में रखना।
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भारतीय जीवन बीमा निगम के अधिकारी स्वाभिमान शुक्ला ने भी अपने फेसबुक वॉल पर बच्चों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट की है।


‘आखरी इम्तिहान ‘

इम्तिहान आज आखरी लिया खुद ने,
कुछ मासूम जबाब नहीं दे पाये।
चुपचाप विदा हो गए कुछ दोस्त,
आखरी सलाम भी नहीं दे पाए।
जिंगदी की इस रफ़्तार में अक्सर,
जिंदगी ही रूठ रही,
जिन्हें वादा था आज शाम घुमाने का,
वो लौटकर घर नहीं पहुँच पाये।
चुप चाप विदा हो गए कुछ दोस्त,
आखरी सलाम भी नहीं दे पाए।

कल स्कूल में कुछ आवाजे तो कम होगी,
कुछ सिसकिया होगी और आँखे तो नम होगी।
डांटते थे जिन्हें उन बच्चों को,
काश एक बार प्यार कर पाए ।
चुप चाप विदा हो गए कुछ दोस्त,
आखरी सलाम भी नहीं दे पाए।
जिनकी कई दिनों से मांग थी,
टिफ़िन मे कुछ अलग खाने की।
जिनकी चाह थी एक अरसे से,
चिड़िया घर जाने की,
उनकी इन छोटी छोटी मांग को भी,
पूरा कभी न हम कर पाये।
चुप चाप विदा हो गए कुछ दोस्त,
आखरी सलाम भी नहीं दे पाए ।
जिनके जोर से हँसने पर,
पाबंदी और डांट थी।
उनके चेहरे की ये ख़ामोशी,
हम चाह कर भी ना मिटा पाये।
चुप चाप विदा हो गए कुछ दोस्त,
आखरी सलाम भी ना दे पाए ।

जिनकी कॉपियां अक्सर ,
लाल थी किसी के कलम से।
उम्र भर ही मलाल रहेगा,
एक शाबाशी न दे पाए।
चुप चाप विदा हो गए कुछ दोस्त,
आखरी सलाम भी न दे पाये।

नाजों से पली बच्ची को दुल्हन की चुनरी पहनाकर दी अंतिम विदाई

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एक साथ उठी बच्चों अर्थी और एक साथ ही हुआ अंतिम संस्कार

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