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नतीजे देखकर खाद्य विभाग हैरान
दरअसल, भारतीय खाद्य एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने शुक्रवार को राष्ट्रीय दूध गुणवत्ता सर्वे-2018 यानी पिछले साल से किये जा रहे सर्वे की एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट देशभर के 1103 शहरों से लिए गए प्रोसेस्ड और खुले दूध के 6432 नमूने लिये गए। इनमें पैकेट दूध के 37.7 फीसदी और खुले दूध के 47 फीसदी नमूने जांच में फेल पाए गए। अगर इसे प्रतिशत के आधार पर आंका जाए तो देशभर में बिकने वाले दूध का 41 फीसदी मिलावटी और सेहत के लिए हानिकारक है। इस सर्वे में मध्य प्रदेश से भी 335 नमूने लिए गए थे। इनमें करीब 23 नमूने यानी 6.86 फीसदी पैक्ड और खुला दूध मिलावटी पाया गया। बता दें कि, खाद्य विभाग के अंतर्गत हुई इस जांच में पिछले साल डेयरी फार्म से 51, दूध मंडी से 78 , मिल्क वेंडर से 120, प्रोसेसिंग यूनिट से 18 और रिटेल शॉप से 68 नमूने इक्ट्ठे किये थे, इनमें प्रदेश में बिकने वाले सांची, सौरभ और अमूल दूध के सैंपल भी शामिल थे।
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इन शहरों में मिला मिलावटी दूध
प्रदेश स्तर पर बात करें तो जांच में बालाघाट जिले में सांची दूध की प्रोसेसिंग यूनिट से लिए गए नमूने में यूरिया, उज्जैन के अग्रवाल जनरल स्टोर से लिए गए सौरभ प्योर दूध के नमूने में एफ्लाटाॅक्सिन और भोपाल, इंदौर और ग्वालियर से लिए अमूल दूध के नमूने में एंटीबायोटिक, टेट्रासाइक्लीन, क्यूनोलोन्स और एफ्लाटॉक्सिन पाया गया है। बाकि, अन्य खुले दूध में भी कई तरह की मिलावट पाई गई। पैक्ड दूध में जिन चीजों की मिलावट पाई गई है, वो सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं। जांच में लिये गए सैंपल्स में 18 सैंपल्स में यूरिया, 24 में शक्कर, 81 में एंटीबायोटिक्स, 16 में ट्रेट्रा साइक्लीन, 39 में सल्फोनामाइड, 24 में क्यूनोलोन और 18 में एफ्लाटॉक्सिन पाया गया है। इनमें 22 सेंपल राजधानी भोपाल से लिये गए थे, 28 इंदौर से , 14 ग्वालियर से, 16 जबलपुर से, 10 रतलाम से, 14 सागर से अौर 12 सैंपल उज्जैन से लिए गए थे।