भोपाल

MP NEWS: सास की हत्या करने के जुर्म में बहु को फांसी, 95 बार हंसिया से किया था हमला

कोर्ट ने दिया फैसला, ससुर को किया दोषमुक्त सास पर 95 वार कर हत्या करने वाली बहू को फांसी

भोपालJun 10, 2024 / 11:53 am

Astha Awasthi

crime news

रीवा। हंसिया से हमला कर अपनी सास को मौत के घाट उतारने वाली बहू को चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश पदमा जाटव की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। दोषी महिला को एक हजार रुपए के अर्थदंड से भी दंडित किया है। मामला 12 जुलाई 2022 का है।
मनगवां थाने के गंगेव चौकी अंतर्गत अतरैला गांव निवासी सरोज कोल पति बाल्मीक पर 12 जुलाई की सुबह पांच बजे बहू कंचन कोल ने हंसिया से हमला कर दिया था। आरोपिया ने सास पर हंसिया से 95 वार किए थे। गंभीर हालत में सरोज को इलाज के लिए संजय गांधी अस्पताल लाया गया था, जहां पुलिस ने उसके बयान दर्ज किए और वीडियो व आडियोग्राफी भी करवाई।

हत्या की साजिश रचने का आरोप

कुछ घंटे बाद महिला की अस्पताल में मौत हो गई। पुलिस ने बहू के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया। तत्कालीन चौकी प्रभारी मनीषा उपाध्याय ने पूरे मामले की जांच की और मृतका के पति बाल्मीक कोल को भी नामजद किया। उस पर हत्या की साजिश रचने और बहू को हत्या के लिए उकसाने का आरोप लगा। चौकी प्रभारी ने पूरे मामले की सूक्ष्म विवेचना कर आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य एकत्र कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया।

महिला को जेल में हाई अलर्ट पर रखा गया है। बकायदे उसकी निगरानी के लिए स्टाफ भी लगाए गए हैं, ताकि वह कोई आत्मघाती कदम न उठा सके। लगातार उसको लेकर सुरक्षा बरती जा रही है। हर समय उस पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। -एसके उपाध्याय, जेल अधीक्षक

16 सा​क्षियों के बयान हुए

इस प्रकरण की सुनवाई चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश की न्यायालय में हुई। अभियोजन की ओर से पैरवी अपर लोक अभियोजक एड. विकास द्विवेदी ने की। अभियोजन की ओर से 16 साक्षियों के बयान कराए गए। न्यायालय ने पुलिस द्वारा मृत्युपूर्व कथन के समय कराए गए महिला की वीडियोग्राफी व ऑडियो को भी जांचा। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुना और महिला पर अपराध सिद्ध पाया, जबकि ससुर को साक्ष्य के अभाव में दोष मुक्त कर दिया गया। महिला को मृत्युदंड की सजा से दंडित किया गया और एक हजार रुपए का अर्थदंड लगाया गया है।

जबलपुर में होती है पूरे प्रदेश की फांसी

फांसी की सजा मिलने के बाद दो​षियों को जबलपुर जेल में फांसी दी जाती है। पहले इंदौर में यह व्यवस्था थी लेकिन अब जबलपुर जेल में फांसी ग्रह बनवाया गया है। पूरे प्रदेश के सभी न्यायालय से होने वाली फांसी की सजा जबलपुर जेल में ही दी जाती है।

1997 में हुई थी रीवा में फांसी की सजा

इससे पहले 1997 में रीवा में फांसी की सजा हुई थी। तत्कालीन जेल परिसर में एक लड़की के साथ बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर शव को गटर में डालने के दो दो​षियों को न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उसमें संशोधन कर दोनों आरोपियों को जीवन पर्यंत जेल में रखने का आदेश दिया था। दोनों आरोपी आज भी जेल में बंद हैं।

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