प्रदेश की राजधानी के राज्य कर्मचारी बीमा अस्पताल के कर्मचारी अधिकारी आर्थिक तंगी में हैं। सोनागिरी स्थित इस अस्पताल की स्टाफ नर्स, ड्रेसर से लेकर वरिष्ठ कर्मचारी तक वेतन और डीए आदि का भुगतान नहीं किए जाने से असंतुष्ट हैं।
यह भी पढ़ें : एमपी में 62 साल से बढ़ेगी सेवानिवृत्ति की उम्र, हाईकोर्ट के स्टे के बाद सक्रिय हुई सरकार यह भी पढ़ें : एमपी बीजेपी के वरिष्ठ नेता का नौकर से कुकर्म केस में बड़ा अपडेट, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
राज्य सरकार ने 28 जून 2023 को इएसआईसी से एमओयू साइन करते हुए राज्य कर्मचारी बीमा अस्पताल को कर्मचारी राज्य बीमा निगम (Employees State Insurance Corporation) के अस्पताल में परिवर्तित कर दिया था। यह अस्पताल जहां है, जैसे हैं की व्यवस्था के तहत सुपुर्द किया गया था। राज्य के कर्मचारियों को मानित प्रतिनियुक्ति पर कार्य करने के लिए स्थानांतरित कर दिया गया था लेकिन अब कर्मचारी इस व्यवस्था से परेशान हो रहेे हैं।
कर्मचारियों का कहना है कि निगम काम तो केंद्र का करा रहा है लेकिन वेतन का भुगतान राज्य का किया जा रहा है। कर्मचारियों को निगम के कर्मचारियों की तरह न तो वेतन भत्ते दिए जा रहे हैं और न ही राज्य के कर्मचारियों की तरह डीए का एरियर का भुगतान किया जा रहा है। यहां तक कि परिजनों की शादी या मौत पर बेहद जरूरी खर्च के लिए जीपीएफ तक नहीं निकाल पा रहे हैं।
यह भी पढ़ें : लगातार 4 दिनों की छुट्टी घोषित, बंद रहेंगे ऑफिस, सरकार ने जारी किए आदेश
अव्यवस्थाओं के चलते कई कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर काम करने से कतरा रहे हैं। कई कर्मचारियों का स्थानांतरण हो गया जबकि कई कर्मचारियों को निगम पहले ही वापस कर चुका है। लेकिन अब निगम द्वारा कर्मचारियों को राज्य सरकार में वापस भी नहीं भेजा जा रहा है। कर्मचारी संगठनों द्वारा राज्य और केंद्र सरकार को विभिन्न मांगों और समस्याओं के निराकरण के लिए कई बार ज्ञापन सौंपा जा चुका है लेकिन कोई हल नहीं निकला।
अव्यवस्थाओं के चलते कई कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर काम करने से कतरा रहे हैं। कई कर्मचारियों का स्थानांतरण हो गया जबकि कई कर्मचारियों को निगम पहले ही वापस कर चुका है। लेकिन अब निगम द्वारा कर्मचारियों को राज्य सरकार में वापस भी नहीं भेजा जा रहा है। कर्मचारी संगठनों द्वारा राज्य और केंद्र सरकार को विभिन्न मांगों और समस्याओं के निराकरण के लिए कई बार ज्ञापन सौंपा जा चुका है लेकिन कोई हल नहीं निकला।
श्रम मंत्रालय का निगम होने के बावजूद श्रम कानून और नियमों को दरकिनार करते हुए मानित प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहे कर्मचारियों को निगम एक चिकित्सालय में दो तरह के वेतन का भुगतान कर रहा है। श्रम मंत्रालय के नियमों के अनुसार कोई भी नियोक्ता वेतन भुगतान में भेदभाव नहीं कर सकता। इसके बाद भी वेतन विसंगति जारी है।
राज्य सरकार अपने कर्मचारियों के पीएफ, डीए के एरियर, समयमान वेतनमान के एरियर जैसे महत्वपूर्ण भुगतान के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। कर्मचारी अपने भविष्य के साथ ही वेतन, एरियर और जीपीएफ को लेकर चिंतित हैं।