बता दें कि फाइल को मंजूरी के लिए गृह विभाग में भेजा गया है। दिसंबर 2021 में राज्य साइबर सेल ने साइबर अपराध और अपराधियों से निपटने के लिए रोडमैप तैयार किया था। इस पर पांच साल में करीब 850 करोड़ रुपए खर्च किए जाने थे। इसमें डायल-100 की तर्ज पर क्विक रिस्पॉन्स टीम, शिकायत पोर्टल, कम्पलेन मैनेजमेंट सिस्टम और सौ थानों में साइबर डेस्क तैयार की जानी है। इसके साथ ही प्रदेश में 80 साइबर एक्सपट्र्स की भी तैनाती होनी थी।
पांच साल के इस रोडमैप के पहले चरण यानी दो साल में 160 करोड़ रुपए खर्च किए जाने थे। फिलहाल रोडमैप में शामिल की गई साइबर एक्सपट्र्स की तैनाती के क्रम में मप्र के सभी पुलिस जोन समेत प्रमुख शहरों में साइबर एक्सपर्ट रखे जाएंगे।
एक्सपर्ट के लिए तय किए दो ग्रेड
साइबर एक्सपर्ट की योग्यता के अनुसार इन्हें दो ग्रेड पर रखा जाएगा। साइबर क्राइम समेत इससे संबंधित विधा में पारंगत एक्सपट्र्स को 9 लाख और 7.50 लाख रुपए वार्षिक पैकेज दिए जाने की व्यवस्था की गई है। एक्सपट्र्स के चयन के मापदंड तय किए जा रहे हैं। राज्य साइबर सेल के एडीजी योगेश देशमुख के मुताबिक ये एक्सपर्ट साइबर क्राइम की रोकथाम और अपराधियों की धरपकड़ में राज्य साइबर सेल के मददगगार बनेंगे।
इसलिए जरूरी हैं साइबर एक्सपर्ट
दिन प्रतिदिन बदल रहे साइबर अपराध के तरीकों और नई तकनीकों के इस्तेमाल से साइबर अपराधी पुलिस की पकड़ से दूर बने रहते हैं। डार्क नेट में उपलब्ध डेटा के दुरुपयोग से अपराधी लोगों की निजी जानकारी लेकर साइबर क्राइम को अंजाम देते हैं। अक्सर साइबर सेल में कार्यरत पुलिसकर्मियों से ये अपराधी दो कदम आगे रहते हैं। ऐसे में साइबर एक्सपर्ट की जरूरत लंबे समय से थी। इसके चलते मप्र पुलिस में साइबर एक्सपर्ट की तैनाती की जा रही है।