ज्यादातर फ्रॉड देश के बाहर से होते हैं जिसके चलते पुलिस इन तक नहीं पहुंच पाती है। इन मामलों में पुलिस केवल उन लोगों को ही पकड़ पाती है, जो अपना अकाउंट किराए पर देते हैं। इन अकाउंट्स में जितना पैसा पुलिस को मिल जाता है वो पैसा तो रिकवर हो जाता है, लेकिन जो पैसा देश के बाहर जाता है, उसे रिकवर कर पाना नामुमकिन हो जाता है।
हाईटेक इक्विपमेंट करते है इस्तेमाल
पुलिस की माने तो ये पैसा क्रिप्टोकरेंसी और हवाला के माध्यम से देश के बाहर जाता है। वहीं जो साइबर फ्रॉड भारत के अलग-अलग राज्यों में बैठे गिरोह अंजाम देते है, वो भी इतने हाईटेक इक्विपमेंट का इस्तेमाल करते है कि उन्हें ट्रेस करने में पुलिस के पसीने छूट जाते है। कुछ गिरोह तक पुलिस जैसे-तैसे पहुंच भी जाती है, लेकिन इनके पास से रिकवरी ज्यादा नहीं हो पाती।साइबर फ्रॉड से बचने जागरुकता ही पहला तरीका
कई बार रिपोर्टिंग काफी लेट होती है और बैंक का रिस्पॉन्स भी धीमा होता है, जिसकी वजह से पैसे जालसाजों तक पहुंच जाते हैं। लोग जागरूक रहे, बैंक समय पर पैसे को ब्लॉक कर दे, तो पैसे जाने से बच सकते है। साइबर फ्रॉड से बचने का सबसे पहला तरीका जागरूकता है। पुलिस अपने स्तर कार्रवाई करती है। -अखिल पटेल, डीसीपी, साइबर क्राइम ये भी पढ़ें: इस बार एमपी में 40 हजार करोड़ का वेडिंग सीजन, 40 से ज्यादा शुभ मुहूर्त में 24 लाख शादियां ये भी पढ़ें: Digital Arrest पर पहली बार Live Action, दुबई के कारोबारी को बचा लाई पुलिस