भोपाल

सायबर अलर्ट : ठगी का ये तरीका कर देगा हैरान, खुद को बताते हैं आर्मी अफसर और खाली कर देते हैं अकाउंट

सायबर पुलिस ने प्रदेशवासियों के लिये अलर्ट जारी किया है। ये ऑनलाइन ठग खुद को आर्मी अफसर बताते हैं और लोगों को सस्ते दामों पर प्रॉपर्टी बेचने-खरीदने और किराये पर लेने-देने का लालच देकर शातिराना ढंग से उनके खाते से रुपये उड़ा देते हैं।

भोपालJun 09, 2021 / 12:44 pm

Faiz

सायबर अलर्ट : ठगी का ये तरीका कर देगा हैरान, खुद को बताते हैं आर्मी अफसर और खाली कर देते हैं अकाउंट

भोपाल/ मध्य प्रदेश में ऑनलाइन ठगी के मामले दिन ब दिन बढ़ते जा रहे हैं। ताजा मामला सामने आने के बाद मध्य प्रदेश सायबर पुलिस ने प्रदेशवासियों के लिये अलर्ट जारी किया है। ये ऑनलाइन ठग खुद को आर्मी अफसर ( Army Officer) बताते हैं और लोगों को सस्ते दामों पर प्रॉपर्टी बेचने-खरीदने और किराये पर लेने-देने का लालच देकर शातिराना ढंग से उनके खाते से रुपये उड़ा देते हैं। मध्‍य प्रदेश साइबर पुलिस (MP Cyber Police) के पास इस तरह की शिकायत सामने आने के बाद जांच की गई और ठगी के इस नए पेतरे से बचने के लिये लोगों के लिये एक एडवाइजरी जारी की है।

 

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सोशल साइट्स से लोगों को बनाते हैं शिकार

जारी एडवाइजरी के मुताबिक, सोशल मीडिया के 99acre.com, OLX, Quikr, Magicbricks.com आदि ऑनलाइन प्लेटफार्म्स पर प्रॉपर्टी के बेचने और किराए से देने वाले विज्ञापनों के लिए आर्मी ऑफिसर बनकर साइबर ठग प्रॉपर्टी खरीदने और किराए से लेने-देने वालों से बात करते हैं। इसके बाद जैसे ही ग्राहक को इनपर विश्वास होता है, ये बड़े ही शातिराना ढंग से यूपीआई नंबर और यूपीआई क्यूआर कोड स्कैन कराकर लोगों के बैंक और मोबाइल वॉलेट खाली कर देते हैं।


ठगने से पहले करते हैं इस तरह बातचीत

साइबर अपराधी ऐसी कई वेबसाइट पर विज्ञापन कर्ताओं से संपर्क कर कहते हैं कि, जो प्रॉपर्टी खरीदने बेचने और किराए से देने लेने के संबंध में आपकी ओर से विज्ञापन दिया गया है। उस संबंध में बात करना चाहते हैं। आगे आरोपी प्रॉपर्टी किराए की बात करते हैं। आरोपी खुद को आर्मी अफसर बताते हैं। इसके साथ वह ये भी बताते हैं कि वर्तमान में वह प्रॉपर्टी वाली जगह पर नहीं रहते, उनकी पोस्टिंग किसी दूसरे स्थान पर है।

 

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फिर यूं होता है पूरा खेल

इसके बाद किराए की राशि और एडवांस राशि फोन पे, गूगल पे या अन्य किसी ऑनलाइन माध्यम से देने का कहते हैं, ताकि संबंधित प्रॉपर्टी को लॉक किया जा सके और आपको भी विश्वास हो सके। जब विज्ञापनकर्ता आरोपी की भेजी गई यूपीआई रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट करता है या भेजे गए क्यूआर कोड को स्कैन कर अपना यूपीआई पिन डालता है, तो दिखाई देने वाली राशि आपके खाते में आने के बजाय खाते से कट जाती है। इस तरह के अपराधों से संबंधित तीन से चार शिकायतें भोपाल स्थित साइबर पुलिस थाना को मिल चुकी हैं।


साइबर पुलिस ने जारी की एडवाइजरी

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