भोपाल

नदियों को पुनर्जीवित करने कागजों पर बना दी करोड़ों रुपए की योजना

नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए प्रशासन ने कागजों पर करोड़ों रुपए की योजना तो बना दी, लेकिन इस योजनाओं का धरातल पर काम नहीं हो सका।

भोपालJun 05, 2023 / 08:56 pm

योगेंद्र Sen

No work has been done to revive the rivers on the ground

बैतूल। नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए प्रशासन ने कागजों पर करोड़ों रुपए की योजना तो बना दी, लेकिन इस योजनाओं का धरातल पर काम नहीं हो सका। जिले की पूर्णा, धाराखोह, फोफस और माचना नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए चयनित किया गया था, क्योंकि यह नदियां गर्मी आते ही सूख जाया करती थी। इन नदियों को पुन: पुनर्जीवित करने के लिए शुरूआत में लाखों रुपए खर्च किए गए, लेकिन इसके बाद भी नदियों को पुनर्जीवित नहीं किया जा सका। पूर्णा नदी जिसका स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जलाभिषेक अभियान के तहत पुनर्जीवन प्लान की आधार शिला रामघाटी में रखी थी, उसका उद्गम स्थल भी सूखा पड़ा है।
नदी 01- पूर्णा
67 करोड़ की पूर्णा पुनर्जीवन योजना में 7 करोड़ खर्च फिर भी नतीजा सिफर
67.21 करोड़ से पूर्णा को पुनर्जीवित करने का सरकारी प्लान 12 सालों में भी कागजों से आगे नहीं बढ़ सका। चूंकि मुख्यमंत्री ने स्वयं 21 मई 2011 को भैंसदेही के रामघाटी क्षेत्र में आकर इस योजना का श्रीगणेश किया था, इसलिए योजना पर 7 करोड़ रुपए भी खर्च हो गए। वहीं जिस विभाग को इसे पुनर्जीवित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उसने भी बजट का रोना रोते हुए अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। जबकि मार्च 2013 तक पूर्णा नदी को पुनर्जीवित करना का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। बैतूल जिले में करीब 90 किमी में बहने वाली पूर्णा नदी का कंटूर ट्रेंच, कंटूर बोल्डर वाल्व, नाली प्लग, मेढ़ बंधान, चैक डेम, स्टाप डैम, परकोलेशन टैंक, ड्राप स्लिप वे, बोरीबंधान, रिचार्ज साइट आदि 21 तरीकों से उपचार कार्य किया जाना था। इस नदी का 2075 हेक्टेयर जल संरक्षण माना गया जिसे बढ़ाकर 7212 हेक्टेयर किया जाना था ताकि 52 गांव लाभांवित हो सके।
नदी 02- माचना नदी
माचना को पुनर्जीवित करने की सिर्फ बातें भर हुई
फोटो 02 कैप्शन। माचना नदी जो गर्मी में सूख जाती है।
185 किमी लंबी माचना नदी का उद्गम आमला विकासखंड से हुआ है। माचना नदी आमला, बैतूल, चिचोली, शाहपुर एवं घोड़ाडोंगरी से होकर गुजरती है। बैतूल की यह लाइफ लाइन भी कहीं जाती है, क्योंकि शहर में पेयजल की सप्लाई इसी नदी से होती है। प्रशासन ने 30 जून 2021 को प्रशासन ने माचना नदी पुनर्जीवन योजनांतर्गत नदी के उद्गम स्थल आमला में एक सरोवर बनाने का निर्णय लिया था, ताकि नदी पुनर्जीवन कार्य से ग्रामीण भावनात्मक रूप से जुड़ सके। नदी पुनर्जीवन के तहत नदी के कैचमेंट एरिया में स्टाप डैम, चेक डैम, बैराज, तालाब निर्माण किए जाने की कार्ययोजना तैयार की गई थी। कलेक्टर ने वर्षाकाल के दौरान नदी के किनारे पौधरोपण, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग, हैंडपंप, कुओं के आसपास सोकपिट के निर्माण जैसे कार्यों को प्राथमिकता से किए जाने के निर्देश दिए थे। योजना में बजट की उपलब्धता के आधार पर कार्य किए जाने के लिए निर्णय लिया गया था।
नदी-03-धाराखोह-फोफस
159 करोड़ से होना था नदी का पुनर्जीवन, पर काम ही नहीं हुआ
फोटो 03 कैप्शन। धाराखोह नदी सूखी पड़ी।
घोड़ाडोंगरी ब्लॉक की बरसाती नदी धाराखोह और फोफस को नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशासन ने शामिल किया था। इन नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए 159 करोड़ 12 लाख रुपए की कार्ययोजना तैयार की गई थी। योजना में नदी के केचमेंट क्षेत्र 47989.12 हेक्टेयर क्षेत्र से जुड़ी 24 ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया था। इन नदियों का पुनर्जीवन करने के लिए कुल 10355 कार्य चयनित किए गए थे। इन चयनित कार्यों की कुल लागत 15912.77 लाख रुपए निर्धारित की गई थी। 10355 चयनित कार्यों में से पहले चरण में कुल 1851 कार्य स्वीकृत किए गए। इन स्वीकृत कार्यों की कुल लागत 3676.2 लाख रुपए थी, लेकिन इनमें से सिर्फ 906 कार्य ही शुरू हो सके थे। इन कार्यों पर जिला पंचायत के माध्यम से 1112.74 लाख रुपए खर्च किए गए। जबकि पूर्ण कार्यों की कुल संख्या महज 419 रही। जिस पर 603.71 लाख रुपए का खर्च आया था। वर्ष 2021 -22 मेंं कोरोना संक्रमण काल लगने के कारण योजना पर काम बंद कर दिया गया। जिसके बाद से काम बंद पड़ा हैं। दोबारा इस योजना पर काम करने की अधिकारियों ने न रूचि दिखाई और न ही काम हो सके।

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