सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार नगर निगम में महापौर और नगर पालिका व नगर परिषद में अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने की तैयारी कर रही है। इसके लिए सीधे जनता से वोटिंग नहीं कराई जाएगी। चुनाव में जीते हुए पार्षद मिलकर महापौर या नपाध्यक्ष चुनेंगे। प्रदेश के नगरीय आवास एवं विकास विभाग ने इसके लिए नगर पालिका नियम में संशोधन करने का प्रस्ताव सरकार को भेज दिया है।
इससे पहले शिवराज सरकार महापौर-अध्यक्ष को सीधे जनता द्वारा चुने जाने की बातें कहती रही है. इसके लिए नगरीय निकाय चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराए जाने के लिए अध्यादेश भी तैयार किया गया. इसे मंजूरी के लिए राज्यपाल को भी भेजा लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश आते ही सरकार ने इसे वापस भी बुला लिया। इससे साफ इंगित हो रहा है कि राज्य की भाजपा सरकार अब अप्रत्यक्ष प्रणाली से ही चुनाव कराना चाहती है।
गौरतलब है कि प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने का निर्णय लिया था। यानि कांग्रेस ने पार्षदों को ही महापौर या नपाध्यक्ष चुनने का अधिकार दिया था. जब कांग्रेस सरकार गिरी और भाजपा की सत्ता आई तो सीएम शिवराजसिंह चौहान ने कमलनाथ सरकार के इस फैसले को पलट दिया. इस संबंध में अध्यादेश बनाया गया लेकिन उसे डेढ़ साल तक विधानसभा में पेश नहीं किया। यही कारण है कि कमलनाथ सरकार के समय बनाई गई व्यवस्था आज भी लागू है।