बता दें कि, बीते 25 मई को प्रदेश सरकार निकाय चुनाव के लिए अध्यादेश लाई थी। इसके अनुसार महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष तरीके से होगा। यानी जनता सीधे महापौर के लिए वोट कर सकेगी। जबकि, पालिका और परिषद अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों को करना होगा। अध्यक्ष चुने जाने के लिए पार्षद होना जरूरी है, लेकिन उसकी उम्र कम से कम 25 साल अनिवार्य है। इससे पहले पालिका और परिषद अध्यक्ष का चुनाव भी महापौर की तरह प्रत्यक्ष प्रणाली से होता था। लिहाजा जब निकाय चुनाव का अध्यादेश लाया गया तो उसमें उम्र की व्यवस्था को बदलना भूल गए। यही बड़ी चूक परेशानी का सबब बन जाएगी।
कई जगह निर्विरोध पार्षद चुने जा रहे हैं, लेकिन जैसे ही अध्यक्ष की बात आएगी तो कई पार्षद सिर्फ इसलिए अध्यक्ष नहीं बन सकेंगे, क्योंकि उनकी उम्र 25 साल से कम होगी। इस बार 76 नगर पालिका अध्यक्ष और 255 नगर परिषद अध्यक्ष का चुनाव होना है। पंचायत और निकायों के एक साथ हो रहे चुनावों में सभी चरणों का मतदान 13 जुलाई तक को संपन्न होगा। निकायों के नतीजे 18 जुलाई को आने हैं। इसी के तहत अध्यक्ष चुने जाएंगे।
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जल्द नियम में बदलाव जरूरी
निकाय चुनाव के लिए राज्य सरकार को अध्यादेश लाना पड़ा था। क्योंकि, अब उम्र में बदलाव के लिए नगर पालिका निर्वाचन नियम 1961 की धारा 34 और 35 में संशोधन करना होगा। विधानसभा सत्र 25 जुलाई से है, लिहाजा अभी चुनावी प्रक्रिया को निर्बाध चलाने के लिए सरकार को फिर अध्यादेश लाना होगा।
फिर सिरे से संशोधन की जरूरत
विधानसभा के मानसून सत्र की तैयारी के दौरान जब नगर निगम और नगर पालिका निर्वाचन संशोधन अध्यादेश 2022 को सदन में पेश करने की बात आई, तब उम्र के पेंच का पता चला। अब फिर एक बार नए सिरे से संशोधन काे पूरी प्रक्रिया से गुजरना होगा।
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