जानिए क्यों लिया निर्णय
जानकारी के लिए बता दें कि माध्यमिक शिक्षा मंडल इससे पहले 1 मार्च से दोनों क्लास की परीक्षा प्रारंभ करता था। यह अप्रैल तक चलती थीं। फरवरी में ही पेपर कराने के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि अगर कोरोना आता भी है, तो तब तक परीक्षा हो चुकी होंगी। ऐसे में फॉर्मूला रिजल्ट बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। दो साल से फॉर्मूला रिजल्ट के आधार पर ही छात्रों को पास किया जा रहा है। परीक्षा जल्दी कराने का निर्णय सिर्फ दो मुख्य कारणों से लिया गया है।
पहला कि मंडल को आशंका है कि दोनों बार कोरोना की लहर मार्च के अंत में ही आई है। बीते कई दिनों से नए संक्रमित मिल रहे हैं। इस बार भी मार्च में ही केस बढ़ने की आशंका है। इसके साथ ही CBSE की प्रायोगिक परीक्षा फरवरी में हो जाती हैं, जबकि मार्च में लिखित परीक्षा होती है। इसी कारण मंडल ने इस बार परीक्षा को फरवरी में शुरू करने का निर्णय लिया है। यह 22 मार्च से प्रारंभ होकर 31 मार्च तक संपन्न हो जाएंगी।
पढ़ाई के लिए मिलेगा कम समय
हालांकि मंडल के परीक्षा जल्दी कराने के चलते छात्रों के पास तैयारी करने के लिए कम समय मिलेगा। ऐसे में छात्रों को अभी से पढ़ाई पर ध्यान देना होगा। इस साल से पेपर में 40% प्रश्न ऑब्जेक्टिव रहेंगे। इससे छात्रों को पास होने में आसानी होगी। वहीं इस साल बच्चों के स्कूल भी देरी से खुले हैं, जिससे अब उन्हें ज्यादा मेहनत करनी होगी।