- शहर में चल रहे विभिन्न प्रोजेक्ट्स में सरकारी व निजी जमीन पर काबिज लोगों को हटाने प्रशासन की मुहिम
भोपाल.
इंट्रो…
शहर विकास और अन्य प्रोजेक्ट्स में इस समय शहर के 5000 मकान-दुकान के 30 हजार से अधिक उपयोगकर्ताओं को हैरान परेशान किया हुआ है। निर्माण केलिए इनके घर दुकान को हटाने के नोटिस जारी हो चुके हैं। सबसे ताजा मामला ओल्ड सुभाष नगर के मोती नगर का है। इसके अलावा मेट्रो की दो लाइनों से लेकर भोपाल बायपास और अन्य प्रोजेक्ट में प्रभावित शामिल है।
ऐसे समझे प्रोजेक्ट में प्रभावित घर-दुकान - 153 बंगले-घर-कार्यालय प्रोफेसर कॉलोनी में कलेक्ट्रेट निर्माण में
- 1074 घर-दुकान मेट्रों की दो लाइन में प्रभावित हो रहे हैं
- 610 घर-दुकान सुभाष नगर थर्ड लेग में मोती नगर से जुड़े घर- दुकान प्रभावित हो रहे हैं
- 700 मकान-दुकान विकसित हुए 09 हेक्टेयर जमीन पर हाउसिंग बोर्ड व एम्स की जमीन पर 116 प्लॉट तय किए थे।
- 70 मकान-दुकान रोड चौड़ीकरण में तोड़े जा रहे हैं। फाटक रोड संत नगर के लिए।
- 600 मकान-दुकान रत्नागिरी से बायपास के बीच में आ रहे हैं। करीब 46 हेक्टेयर में बड़े मकान-दुकान है। इनका विस्थापन किया जाएगा।
- 300 मकान-दुकान हटाए गए अवधपुरी रोड चौड़ीकरण के लिए।
- 750 मकान-दुकान कोलार सिक्सलेन के लिए हटाए थे।
नोट- ये कुछ मामले है।
- प्रोजेक्ट में 70 फीसदी प्रभावित सरकारी जमीन पर काबिज है। प्रशासनिक रिकॉर्ड में जमीन सरकारी है और इसलिए प्रोजेक्ट को यहां फिजिबल बताया। अब जमीन पर स्लम क्षेत्र व दुकानें बनी है तो इन्हें हटाने की कवायद की जा रही है। इससे सबक ये हैं कि सरकारी जमीन पर घर-दुकान बनाने और वहां 30 से 40 साल बीताने के बावजूद आप सुरक्षित नहीं मान सकते। किसी प्रोजेक्ट में वह टूट सकता है।
- मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट की एम्स से करोद व भदभदा से रत्नागिरी तिराहा तक दो लाइनों में 1074 घर-दुकानें प्रभावित है। इन्हें करीब 446 करोड़ रुपए की बड़ी राशि मुआवजे के लिए निकाली है।
- भीमनगर, वल्लभ नगर समेत 9 बस्तियों के लिए पीपीपी मोड में अरेरा हिल्स पर ही आवासीय फ्लेट बनाकर देने की योजना बनाई, उसके बाद स्लम तोडऩा तय किया।
- अन्य में ऐसा नहीं है। विस्थापन या मुआवजा को लेकर स्पष्ट प्रावधान नहीं होने से दिक्कत है।
- भदभदा से हटाई 100 से अधिक झुग्गियों को एक लाख रुपए दिए गए थे।
प्रशासन शहर के प्रोजेक्ट्स के लिए जमीन निकालने का काम करता है। इसमें सरकार की तय योजनाओं- नीतियों के अनुसार ही काम किया जाता है।