कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री बाला बच्चन ने एक बयान जारी कर कहा कि वास्तविकता इसके उलट है। पिछले 18 वर्ष के शासन में शिवराज सरकार ने कई आदिवासी विरोधी कार्य किए है, जिस कारण से वर्ष 2018 में आदिवासी समाज ने उन्हें चुनाव में सिरे से नकार दिया था, परंतु जनमत की चोरी और कुछ ग़द्दारों की मदद से शिवराज फिर सत्ता में क़ाबिज़ हो गए और अब वही झूटे वादे एवं प्रलोभन प्रदेश के भोले भाले आदिवासी भाइयों से किए जा रहे हैं।
बच्चन ने कहा कि वर्ष 2020 की राष्ट्रीय क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक आदिवासी समुदाय पर अत्याचार के मामले में मध्य प्रदेश देश में पहले स्थान पर है। यदि भारतीय जनता पार्टी वाकई आदिवासी समुदाय का सम्मान करना चाहती है तो उसे सबसे पहले सरकार के संरक्षण में आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों को रोकना चाहिए। आदिवासियों को गाड़ी से बांधकर घसीटकर हत्या करने और आदिवासियों के पूरे परिवार को जमीन के भीतर जिंदा गाड़ देने जैसी घटनाएं जब तक मध्य प्रदेश में होती रहेंगी तब तक बीजेपी सरकार को खुद को आदिवासी हितैषी कहने का कोई अधिकार नहीं है।
अवकाश निरस्त कर दिया था सरकार ने
उन्होंने कहा कि प्रदेश में जब कमलनाथ सरकार थी तो उन्होंने विश्व आदिवासी दिवस पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया था। लेकिन शिवराज सिंह चौहान सरकार ने वह अवकाश निरस्त कर दिया। यही नहीं जिन इलाकों में आदिवासी समुदाय के लोग आदिवासी दिवस मनाना चाहते थे, वहां भी बहुत सी पाबंदियां लगा दी। यह भाजपा का असली चेहरा है।
कांग्रेस की यूपीए सरकार के दौरान आदिवासियों को उनकी जमीन पर पट्टे देने की व्यवस्था की गई थी। लेकिन मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार ने इस तरह के नियम बना दिए की ढाई लाख से अधिक आदिवासी अपनी ही जमीन पर पट्टा पाने से आज तक वंचित हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में जब कमलनाथ सरकार थी तो उन्होंने विश्व आदिवासी दिवस पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया था। लेकिन शिवराज सिंह चौहान सरकार ने वह अवकाश निरस्त कर दिया। यही नहीं जिन इलाकों में आदिवासी समुदाय के लोग आदिवासी दिवस मनाना चाहते थे, वहां भी बहुत सी पाबंदियां लगा दी। यह भाजपा का असली चेहरा है।
कांग्रेस की यूपीए सरकार के दौरान आदिवासियों को उनकी जमीन पर पट्टे देने की व्यवस्था की गई थी। लेकिन मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार ने इस तरह के नियम बना दिए की ढाई लाख से अधिक आदिवासी अपनी ही जमीन पर पट्टा पाने से आज तक वंचित हैं।