दरअसल मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 114 सीटें मिली थी वहीं यहां भाजपा को 109 सीटों के साथ संतोष करना पड़ा। जबकि अन्य निर्दलीय व छोटे दलों को मिली। ऐसे में कांग्रेस को बहुमत के लिए इन अन्य से सहयोग लेना पड़ा।
वहीं सरकार के मंत्रिमंडल की घोषणा के साथ ही आज मंगलवार को सभी निर्दलीय व छोटे दलों के सदस्यों ने एक साथ मीटिंग की। जो तकरीब 1 घंटे तक चली, इसके बाद सभी एक साथ होटल से निकल गए।
सूत्रों का कहना है कि सरकार के लिए सहयोग देने वाले इन सदस्यों की गुपचुप तरीके से हुई इस मीटिंग के चलते हर कोई सकते में आ गया है। वहीं लोग इसे भाजपा के पूराने बयानों से जोड़ते हुए देख रहे है। ऐसे में माना जा रहा है कि यदि इन सदस्यों ने कोई कड़ा फैसला लिया है तो कांग्रेस को सरकार से हटना पड़ सकता है।
ये है मामला…
जानकारी के अनुसर मंगलवार को शपथग्रहण समारोह से ठीक पहले तीन निर्दलीय, बसपा के दो, एक सपा और डॉ. हीरालाल अलावा एकजुट हो गए है। ऐसे में वे सब करीब 1 बजे पलाश होटल से साथ निकले, जिसके चलते राजधानी मे राजनीतिक सरगरमी तेज हो गई हैं।
ये बताया जा रहा है कारण…
दरअसल इस मामले में राजनीति के जानकार डीके शर्मा का कहना है कि आज सरकार की ओर से मंत्रियों को शपथ दिलाई जानी है, जिसके लिए नामों की सूची भी आ गई है। जिसमें केवल वारासिवनी के प्रदीप जायसवाल का ही नाम शामिल है।
जयस ने पहले ही किया था सतर्क…
जबकि इससे पहले भी जयस और कांग्रेस के मनावर से विधायक डॉ. हीरालाल अलावा के एक ट्वीट ने सियासी हंगामा खड़ा हो गया था।
जयस इंडिया ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट पर लिखा था कि जयस ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। वादे के मुताबिक जयस की भागीदारी सरकार में होनी चाहिए। जयस को अनदेखा करना कांग्रेस बड़ी भूल होगी।
हीरालाल अलावा का ये ट्वीट ऐसे समय आया था, जब कांग्रेस के तमाम बड़े नेता कमलनाथ के मंत्रीमंडल में जगह बनाने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं।
हीरालाल ने उस समय कहा था कि कांग्रेस ने चुनाव से पहले सरकार में जयस को प्रतिनिधित्व देने का वादा किया था।
उन्होंने कहा था कि वे इस बारे में वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से बात करेंगे। वहीं मुख्यमंत्री कमलनाथ पहले ही साफ कर चुके थे कि मंत्रीमंडल में पहली बार चुने गए विधायकों को जगह नहीं दी जाएगी, और हुआ भी ऐसा ही।
जिसके बाद आज सभी निर्दलीय व छोटे दलों के नेता एक साथ हो जाने से कांग्रेस सरकार के लिए समस्या खड़ी होती दिख रही है।
ऐसे में मंत्रियों के नामों की घोषणा हो जाने के बाद समर्थन देने वाले सभी विधायकों का एकजुट हो जाना कई प्रश्न खड़े करते दिख रहा है। वहीं बताया जाता है कि इसकी सूचना सामने आने पर कांग्रेस में भी तनाव बढ़ गया है।
इधर, कांग्रेस के केपी सिंह को मंत्री नहीं बनाए जाने को लेकर विरोध शुरू…
मंत्री की अभी शपथ भी नहीं हुई है, लेकिन इससे पहले ही कांग्रेस में विरोधी स्वर उठने शुरू हो गए हैं। इसी के चलते पिछोर के जाने माने विधायक व सिंधिया के नजदीकी केपी सिंह का नाम मंत्रियों की सूची में नहीं होने के चलते उनके समर्थक नाराज हो गए है। और उन्होंने सड़कों पर धरना प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है। वहीं केपी सिंह के किसी गोपनीय जगह पर चुपचाप चले जाने की सूचना भी लगातार सामने आ रही है।
दरअसल मध्यप्रदेश की पिछोर सीट जो शिवपुरी जिले की विधानसभा सीट है। इस सीट से कांग्रेस के केपी सिंह आते हैं। पिछोर कांग्रेस का गढ़ रहा है, यहां पर पिछले 25 साल से कांग्रेस के केपी सिंह ही जीतते आए हैं।