भोपाल

उपाध्यक्ष पद नहीं दिया तो स्पीकर का चुनाव लड़ सकती है कांग्रेस

सज्जन बोले भाजपा के असंतुष्ट देंगे साथ
सपा,बसपा निर्दलीय का भी भरोसा
 

भोपालJan 30, 2021 / 08:54 pm

Arun Tiwari

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ।

भोपाल : प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में लंबे समय बाद हो रहे विधानसभा सत्र की गरमाहट होने लगी है। कांग्रेस विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद का चुनाव लडऩे की तैयारी कर रही है। कांग्रेस कहना है कि परंपरा अनुसार विधानसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को मिलना चाहिए। यदि विधानसभा के बजट सत्र में ये परंपरा टूटी तो कांग्रेस स्पीकर के लिए अपना उम्मीदवार उतारेगी। 22 फरवरी से शुरू होने वाले विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन अध्यक्ष का चुनाव होना है। इसके बाद उपाध्यक्ष के लिए चुनाव होगा। यदि सर्वसम्मति बनती है तो बिना चुनाव के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चयन हो जाएगा। लेकिन यदि भाजपा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को नहीं देती है तो फिर कांग्रेस दोनों पदों के लिए अपने उम्मीदवार उतार देगी। विधानसभा में संख्या बल के आधार पर भाजपा का पलड़ा भारी है लेकिन कांग्रेस जोर आजमाइश कर अपनी ताकत दिखाने की कोशिश करेगी।

भाजपा के असंतुष्टों पर भरोसा :
पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि विधानसभा में उपाध्यक्ष का पद पुरानी परंपरा के तहत विपक्ष को नहीं दिया गया तो अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों के लिए कांग्रेस पार्टी अपना उम्मीदवार खड़ा करेगी। वर्मा ने कहा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ के दिल्ली से लौटने के बाद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर उम्मीदवार उतारने के संबंध में चर्चा की जाएगी। वर्मा ने कहा कि भाजपा में बहुत वरिष्ठ विधायक सरकार से असंतुष्ट हैं। मंत्रिमंडल से बाहर रख उनका हक मारा गया है। वे इस चुनाव में कांग्रेस का साथ देगें। वहीं सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों से भी कांग्रेस पार्टी अपने उम्मीदवार के लिए समर्थन जुटाने का प्रयास करेगी। वर्मा ने कहा कि कांग्रेस सरकार में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद पार्टी के पास इसलिए था क्योंकि भाजपा ने अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार उतारकर परंपरा तोडऩे की कोशिश की थी।

कांग्रेस ने तोड़ी परंपरा :
हाल ही में प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा था कि कमलनाथ सरकार में पुरानी परंपराओं को तोड़ा गया। कमलनाथ सरकार के दौरान अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों पद कांग्रेस ने अपने पास रखे थे। और अब इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए कोई फैसला लिया जाएगा। मतलब साफ है कि भाजपा विधानसभा उपाध्यक्ष पद विपक्ष को देने के लिए तैयार नहीं है और वो अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों पद अपने पास रखना चाहेगी।

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