ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी सड़क पर गिरा, काफिला रोककर मदद करने पहुंचे सिंधिया
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने जनसंपर्क विभाग की वेबसाइट के स्क्रीन शॉट के साथ ट्वीट किया कि 20 मार्च को गद्दारी का एक वर्ष पूरा होगा। उस समय जो गद्दार थे, वो आज भी गद्दार हैं। गद्दारों की गद्दारी जारी है। पहले मातृभूमि से और अब मां रूपी पार्टी से। वहीं, प्रदेश कांग्रेस की ओर से भी एक ट्वीट कर सीएम शिवराज से पूछा गया है कि क्या सिंधिया देशद्रोही थे। वेबसाइट के हवाले से लिखा है कि महाराज सिंधिया अंग्रजों के यहां छिपे थे। रानी लक्ष्मीबाई ने ग्वालियर जीता और सिंधिया ने भागकर आगरा में अंग्रेजों के यहां शरण ली।
यह लिखा है वेबसाइट पर
जनसंपर्क की वेबसाइट में मध्यप्रदेश का इतिहास शीर्षक से लिखा है कि 1857 की क्रांति में मध्यप्रदेश का असर रहा। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में मेरठ, कानपुर, लखनऊ, दिल्ली, बैरकपुर आदि के विद्रोह की लपटें यहां भी पहुंची। तात्या टोपे और नाना साहेब पेशवा के संदेश वाहक ग्वालियर, इंदौर, महू सेत कई क्षेंत्रों में घूम-घूमकर विद्रोह का अलख जगाने में लग गए। उधर, तात्या टोपे और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने ग्वालियर जीता। महाराजा सिधिया ने भागकर आगरा में अंग्रेजों के यहां शरण ली।