ये मामला 2023 के विधानसभा चुनाव के निकटतम प्रतिद्वंद्वी धु्रव नारायण सिंह की चुनाव याचिका से सामने आया था। उन्होंने चुनाव हलफनामे में लोन की जानकारी छिपाने का आरोप लगाकर निर्वाचन को चुनौती दी थी। जिस पर विधायक मसूद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दस्तावेजों को फर्जी बताया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार हाईकोर्ट दस्तावेजों की जांच कर रहा है। इसी के तहत स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अशोका गार्डन शाखा के तत्कालीन मैनेजर को उपस्थित होने के आदेश दिए गए थे।
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तत्कालीन प्रबंधक ने कोर्ट को बताया कि बैंक के कुछ कर्मचारियों की संलिप्तता से 40 खाताधारकों के नाम पर धोखाधड़ी करके लोन स्वीकृत किए गए थे, जिनकी जांच सीबीआई कर रही है। विधायक मसूद और उनकी पत्नी के नाम पर जारी किए गए लोन का बैंक रिकॉर्ड में उल्लेख ही नहीं है और खाते को एनपीए कर दिया गया है। बैंक कर्मी द्वारा विधायक से हस्ताक्षर करवाने की बात भी सामने आई है, जिससे लोन की रिकवरी प्रक्रिया में भ्रमित किया गया। अदालत में गवाही और प्रतिपरीक्षण के बाद न्यायालय ने तत्कालीन बैंक मैनेजर को व्यक्तिगत उपस्थिति से मुक्त कर दिया। मामले में प्रतिवादी विधायक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अजय गुप्ता और याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अजय मिश्रा ने पक्ष प्रस्तुत किया।